तहजीब हाफी नई पीढ़ी के बेहतरीन शायर हैं. उनकी गजल, नज्म, शायरियों को खूब पसंद किया जाता है. यहां पढ़िए उनकी प्यार भरी शायरियां.
तिज़ोरियों पे नज़र और लोग रखते हैं मैं आसमान चुरा लूंगा जब भी मौका लगा
उस की मर्ज़ी वो जिसे पास बिठा ले अपने इस पे क्या लड़ना फुलाँ मेरी जगह बैठ गया
तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया
बस एक दुःख जो मेरे दिल से उम्र भर न जायेगा उसको किसी के साथ देख कर मैं मर नहीं गया
ये जियोग्राफ़ियां, फ़लसफ़ा, साईकोलोजी, साइंस रियाज़ी वगरैह … ये सब जानना भी अहम है मगर, उसके घर का पता जानते हो ?
तुम्हें हुस्न पर दस्तरस है, मोहब्बत वोहब्बत बड़ा जानते हो ! तो फिर ये बताओ के तुम,उसकी आँखों के बारे में क्या जानते हो ?
रात के तीन बजने को है यार ये कैसा महबूब है जो गले भी नहीं लग रहा है और घर भी नहीं जा रहा
घर में भी दिल नहीं लग रहा काम पर भी नहीं जा रहा जाने क्या खौफ़ है जो तुझे चूम कर भी नहीं जा रहा