महाभारत में छल से मारे गए ये पांच योद्धा, नहीं तो युद्ध का नतीजा कुछ और होता

Amitesh Pandey
May 17, 2024

Mahabharata Warriors who killed by cheating

अधर्म पर धर्म की स्‍थापना के लिए महाभारत का युद्ध लड़ा गया. महाभारत के युद्ध में कौरवों और पांडवों दोनों तरफ से कई योद्धा मारे गए. हालांकि, कई ऐसे योद्धा थे जो छल कपट से मारे गए. इन्‍हें युद्ध में हराना मुश्किल था.

युद्ध के नियम

18 दिनों तक चले इस महाभारत के युद्ध के लिए दोनों तरफ से नियम बनाए गए थे. कुछ दिनों तक नियम के तहत युद्ध हुआ. हालांकि, कुछ दिन बाद ही युद्ध में नियमों को ताक पर रखकर छल से योद्धाओं का वध किया गया

पांच योद्धाओं का वध

महाभारत के युद्ध में 5 योद्धाओं को छल कर मारा गया. इनमें भीष्‍म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य, सूर्य पुत्र कर्ण, जयद्रथ और दुर्योधन शामिल हैं.

भीष्‍म

महाभारत के युद्ध में सबसे बुजुर्ग और सभी योद्धाओं में श्रेष्ठ भीष्म थे. वह अपनी राजभक्ति के कारण कौरवों के साथ युद्ध में भाग लेने का निर्णय किया.

बाधक

पांडवों के विजय में बाधक भी बने थे. इन्हें पराजित किए बिना महाभारत के युद्ध में पांडवों का विजयी होना मुश्किल था.

भीष्‍म का वध

महाभारत युद्ध के 10वें दिन छलवश अर्जुन ने भीष्‍म को बाणों से छलनी कर दिया था. भीष्‍म बाणों की शैय्या पर लेटे-लेटे अंत तक युद्ध को देखते रहे.

द्रोणाचार्य

भीष्म के बाद कौरवों के सेनापति द्रोणाचार्य बनें. ये कौरव और पांडवों के गुरु थे.

द्रोणाचार्य

भीष्म के जैसे ही पांडवों के मार्ग में बड़े बाधक बने हुए थे. इन्हें भी युद्ध में पराजित कर पाना बेहद मुश्किल था. ऐसे में पांडवों ने द्रोणाचार्य के साथ छल कर उनका वध कर दिया.

सूर्य पुत्र कर्ण

अर्जुन ने सूर्य पुत्र कर्ण का वध उस समय किया जब उनका रथ कीचड़ में फंस गया था. वह उसे निकालने में ल लगे थे तभी उनका वध कर दिया गया.

जयद्रथ

जयद्रथ को सूर्य ढलने से पहले मारने की अर्जुन ने सौगंध ली थी. उसे मारने के लिए भगवान श्रीकृष्‍ण ने छल किया और अर्जुन ने उसका सिर काट दिया.

दुर्योधन

दुर्योधन को मारने के लिए भीम ने छल किया. गदा युद्ध में कमर के ऊपर चोट करना होता है. श्रीकृष्‍ण के इशारे पर भीम ने दुर्योधन को कमर के नीचे मारना शुरू कर दिया.

डिस्क्लेमर

पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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