गोरखपुर शहर के दक्षिणी-पूर्वी छोर पर करीब 1700 एकड़ क्षेत्र में फैला रामगढ़ ताल शहर की खूबसूरती में चार चांद लगाता है.
इसी वजह से रामगढ़ ताल को अब पूर्वांचल का मरीन ड्राइव कहा जाता है.
इसका दीदार करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. शाम के बाद यहां लोगों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है.
गोरखपुर का प्राचीन नाम रामग्राम भी था. इसी पुरातन नाम पर रामगढ़ ताल का नाम पड़ा है. यह छठी शताब्दी में नागवंशी कोलिय गणराज्य की राजधानी थी.
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने यहां आर्नामेंटल लाइट के बीच स्पीकर भी लगाए गए हैं. यहां सुबह-शाम भजन बजते हैं और दिन में संगीत की धुन सुनाई देती है.
इसके अलावा रामगढ़ ताल के किनारे कई सेल्फी प्वाइंट बन गए हैं.
कहा जाता है कि एक समय राप्ती नदी आज के रामगढ़ ताल से ही होकर गुजरती थी.
राप्ती नदी की दिशा बदली तो उसके अवशेष से रामगढ़ ताल अस्तित्व में आ गया.
बताया जाता है कि प्राचीन काल में ताल की जगह एक विशाल नगर बसा था, जो किसी ऋषि के श्राप में फंस गया था.
नगर ध्वस्त हो गया और वहां ताल बन गया. कहा जाता है कि आज तक ताल की गहराई को नापा नहीं जा सका है. ( ये जानकारी इंटरनेट और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है, जी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है)