इस दुनिया में ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं, जो दुखी न होती हो, ऐसा आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में कहा गया है.
आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में ये यह बताया है कि दुखी लोगों को कौन-सी चीजों से शांति मिल सकती है.
ये बात खासकर आचार्य चाणक्य ने शादीशुदा या कहें बुजुर्गों के बारे में बताई है. ताकि वह जीवन में कभी दुखी न हो सके.
चाणक्य नीति में एक श्लोक है 'संसार तापदग्धानां त्रयो विश्रान्तिहेतव:। अपत्यं च कलत्रं च सतां संगतिरेव च।।'
इस श्लोक के जरिए चाणक्य ने कहा कि इस संसार में दुखी लोगों को चार बातों से शांति मिल सकती है.
आचार्य ने बताया है कि अच्छी संतान, पतिव्रता स्त्री, अच्छे रिश्तेदार और सज्जनों का संग मिले तो व्यक्ति को शांति मिल सकती है.
आचार्य चाणक्य ने आगे समझाया कि अपने कार्यों या व्यापार में लगे हुए व्यक्तियों के लिए घर में आने पर शांति मिलनी चाहिए.
ऐसा तभी हो सकता है जब उसके पुत्र और पुत्रियां गुणी हों. स्त्री पतिव्रता और नम्र स्वभाव वाली हो, मित्र भले और सज्जन हों.
यानी अच्छी संतान, प्यार करने वाली पत्नी अच्छे दोस्त और रिश्तेदार. अगर ये चार किसी के जीवन में हैं तो उसके जीवन में शांति है.
यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं/ चाणक्य नीति पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.