जब बात उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की होती है तो हमारे मन में सबसे पहले घंटाघर की तस्वीर आती है, जो दुनियाभर में मशहूर है.
वैसे तो किसी भी घंटाघर पर चार घड़ियां लगी होती है, लेकिन एशिया के इस अनोखे घंटाघर के शीर्ष पर 6 घड़ियां लगी हुई हैं.
हेक्सागन आकार में होने की वजह से ये दुनिया में अनोखा घंटाघर माना जाता है. ये आर्ट डेको डिजाइन शैली में बनाया गया था, जो उस वक्त की प्रसिद्ध शैली थी.
जैसे शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज के लिए उनकी याद में ताजमहल बनवाया था, वैसे ही जस्टिस बलबीर सिंह के बेटे आनंद सिंह ने उनकी याद में इसे बनवाया था.
जब देश को आजादी मिली तो उसे यादगार बनाने के लिए इस घंटाघर को बनाया गया. इसका शिलान्यास तात्कालिक राज्यपाल सरोजिनी नायडू ने किया था.
जस्टिस बलबीर सिंह के बेटे आनंद सिंह ने जमीन दान की थी. इस अनोखे घंटाघर की नींव 1948 में में रखी गई थी. इसे बनने में 5 साल का वक्त लगा.
ये घंटाघट 1953 में बनकर तैयार हुआ, जिसका लोकार्पण देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किया था. उन्होंने इसे उत्कृष्ट कला का नमूना बताया था.
इस अनोखे घंटाघर को ‘हार्ट ऑफ द सिटी’ कहा जाता है क्योंकि यह मसूरी, आईएसबीटी, प्रेमनगर और रायपुर समेत सभी जगहों को जोड़ता है.
इस घंटाघर में लगाने के लिए इंग्लैंड से घड़ियां मंगवाई गई थी, लेकिन अब खराब होने के चलते उसे उतारकर दूसरी घड़ियां वहां लगाई गई हैं.
इस घंटाघर का निर्माण करना इतना आसान नहीं था. शहर के रईसों की आपसी प्रतिद्वंद्विता की वजह से कोई भी रईस इसे बनने नहीं देना चाहता था.