बिच्छू-छिपकली और घोड़ा..., अजीबोगरीब नामों के लिए मशहूर यूपी का ये गांव

Sandeep Bhardwaj
Mar 24, 2024

जानवर के नाम पर उपनाम

कोई भूत कोई बिच्छू और कोई सांड इस गांव में ये लोगों के उपनाम हैं.

बागपत के अनोखे उपनाम

यूपी के बागपत के गांवों में अनोखे उपनामों की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है. ये उपनाम कुलों की पहचान बन गए हैं.

पूर्वजों के कारण

ये उपनाम इन लोगों को अपने पूर्वजों के काम और विशेषताओं के कारण मिले हैं.

भूत उपनाम

जो व्यक्ति कटाई करता था कटाई के बाद भूसी उसके शरीर से चिपक जाती थी, जिससे वह भूत जैसा दिखने लगता था. ऐसे में उसे भूत उपनाम मिल गया. इनके वंशज आज भी भूत नाम से बुलाए जाते हैं.

बिच्छू उपनाम

एक व्यक्ति जो दूसरों से बुरी तरह लड़ता था, उसे बिच्छू कहा गयाऔर उसके वंशज आज भी इसी उपनाम से पहचाने जाते हैं.

किरारिया उपनाम

एक बौंक के पूर्वजों को अजीब बुखार हुआ और उनका चेहरा लाल हो गया. उन्हें छिपकली की प्रजाति का किरारिया उपनाम मिला. आज गांव में इस उपनाम के 50 परिवार हैं.

कुलों को बौंक

इसी तरह चिड़िया, गप्पड़ और घोड़ा कुल भी शामिल हैं. स्थानीय भाषा में इन कुलों को बौंक कहा जाता है.

मजनू उपनाम

बागपत का किरथल गांव अपने हीर, रांझा और यहां तक कि मजनू उपनामों के लिए जाना जाता है.

किसी को कोई परेशानी नहीं

लोगों को इन नामों से कोई दिक्कत नहीं हैं वह इसे अपनी पहचान मानते हैं और अपने पूर्वजों से जुड़े होने का अनुभव करते हैं.

पश्चिमी यूपी

बौंक की व्यवस्था सिर्फ बागपत तक ही सीमित नहीं है. पश्चिमी यूपी के कुछ अन्य जिलों में भी यह परम्परा है.

सांड उपनाम

बिजनौर के एक बौंक को सांड उपनाम मिला हुआ है. यहां आज भी कई सांड परिवार मौजूद हैं.

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