उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 80 किलोमीटर पश्चिम में बसे कानपुर को प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है.
कानपुर गंगा के दक्षिणी तट पर बसा है. शहर ने राजा-महराजाओं से लेकर अंग्रेजों तक के शासन तक कई बार उतार-चढ़ाव देखा है.
कहा जाता है कि महाभारत काल के वीर कर्ण से भी कानपुर का नाता है लेकिन आज तक इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है.
कानपुर का मूल नाम 'कान्हपुर' था. जिसे बाद में आम बोलचाल की भाषा में कानपुर कहा जाने लगा. बाद में आधिकारिक दर्जा भी प्राप्त हो गया.
कानपुर का कई बार नाम बदला, इसे कान्हपुर, कन्हैयापुर, करनपुर, कन्हापुर नाम से जाना जाता था. कहा जाता है कि कानपुर का नाम 21 बार बदला गया.
24 मार्च 1803 को कानपुर शहर की स्थापना ईस्ट इंडिया ने की थी. ये भी माना जाता है कि कानपुर शहर की स्थापना 1750 ईस्वी में सचेन्दी राज्य के राजा हिन्दू सिंह ने की थी.
अवध के नवाबों में शासनकाल के आखिरी समय यह नगर पुराना कानपुर, पटकापुर, कुरसवां, जुही तथा सीमामऊ गाँवों के मिलने से बना था.
हिंदू शास्त्रों के मुताबिक, इस शहर के बिठूर नामक स्थान पर ब्रह्मा जी ने तपस्या की थी, जो बाद में ब्रह्मावर्त घाट नाम से प्रसिद्ध हुआ. कहा ये भी जाता है कि यहीं पर ध्रुव ने भगवान विष्णु की तपस्या की थी. पड़ोस के प्रदेश के साथ इस नगर पर कन्नौज, कालपी के शासकों ने शासन किया. इसके बाद यह मुसलमान शासकों के हाथों में रहा.
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