श्मशान घाट जाना दुखद होता है. अक्सर लोग श्मशान तभी जाते हैं जब उनका कोई करीबी या सगा संबंधी दुनिया से चला गया हो और उसका अंतिम संस्कार होना है
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में ऐसा श्मशान घाट है जहां बहुत से लोग अंतिम क्रिया में शामिल होने के लिए नहीं बल्कि वहां की सुंदरता और सुविधाओं का आनंद लेने जाते हैं.
यह श्मशान घाट राप्ती नदी के दोनों तटों पर स्थित गुरु गोरक्षनाथ घाट और श्रीराम घाट पर है जो अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध हैं, यहां आने वाले इसके आकर्षण से बच नहीं पाते.
राप्ती तट पर बने लाल पत्थरों की पालकी अब सेल्फी प्वाइंट के रूप में लोकप्रिय हो रहे हैं, जहां लोग खूबसूरत धूप का आनंद लेते हुए तस्वीरें खिंचवाते हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विकासपरक सोच ने राप्ती तट को एक नई पहचान दी है, जिससे गोरखपुर को पर्यटन के नक्शे पर स्थापित होने में मदद मिल रही है.
राजघाट के बाएं तट पर सुंदरीकरण और नागरिक सुविधाओं के निर्माण के बाद इसे महायोगी गुरु गोरक्षनाथ के नाम पर समर्पित किया गया.
दाएं तट पर सुंदर निर्माण के बाद घाट को श्रीराम के नाम पर रामघाट नाम दिया गया. इसके साथ ही अंत्येष्टि स्थल राजघाट अंतिम संस्कार की विधियों के लिए समर्पित है.
महायोगी गोरक्षनाथ घाट पर दिनभर बड़ी संख्या में लोग नए पर्यटन स्थल का आनंद उठाने पहुंचते हैं. लोग यहां राजस्थान के लाल पत्थर से बने गजीबो और पालकी के साथ सेल्फी लेते हैं.
लेख में दी गई तस्वीरें काल्पनिक हैं. ZEE UP/UK इनके हूबहू और समान होने का दावा नहीं करता.