गंगा के दक्षिणी छोर पर बसे इस शहर को घूमने की शुरुआत हर की पौड़ी के साथ कर सकते हैं . यहां का सुबह और शाम का नज़ारा बेहद ही खूबसूरत होता है, हर की पौड़ी के इतिहास के लिए कहा जाता है की भगवान विष्णु ने इस धरती पर अपने पैर रखे थे,जिसके बाद इसे हर की पौड़ी के नाम से जाना जाने लगा.
पांडव के शासन काल में बसा भीम गोड़ा कुंड भी देखने की एक अच्छी जगह है, जिसके इतिहास के बारे में कहा जाता है कि द्रौपदी को प्यास लगने पर भीम ने अपना गोडा मारकर कुंड की स्थापना की थी. वर्तमान में कुंड पर बना ब्रिज इस नदी की शोभा को बढ़ा रहा है और लोगों को यहां आने पर मजबूर कर देता है.
आदि शंकराचार्य के समय में स्थापित किया गया शक्ति पीठ, जहां पर बीसवीं सदी में कश्मीर के राजा ने एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया, इसे मनसा देवी के नाम से जाना जाता है. पहाड़ी पर बसे इस मंदिर का नजारा दिल को छू जाता है और मन करता है , यहां की शांति देखकर कुछ पलों का ठहराव किया जाए. पहाड़ी पर बसे इस मंदिर में सड़क के रास्ते और जल्दी पहुंचने के लिए रोप वे का सहारा भी लिया जा सकता है.
शहर के पश्चिम तट पर स्थित कनखल आध्यात्म के साथ शिक्षा का भी स्थल है, यहां के प्रजा पति मंदिर, सतीकुंड, दक्ष महादेव मंदिर व शिक्षा की दृष्टिकोण से बनाया गया कांगड़ी गुरूकुल इस क्षेत्र के आकर्षण का केंद्र है.
यदि आप वन्य जीव जंतु में भी रुचि रखते हैं तो यहां पर जाकर आपको घूमने में और भी मजा आने वाला है, क्योंकि इस शहर में बसे राजा जी नेशनल पार्क में आपको चीते,हाथी, हिरण, मोर, सांभर देखने को मिल जायेंगे.
यहां पर बसे सप्त ऋषि आश्रम का नज़ारा बेहद ही आकर्षक है, यहां पर बहने वाली गंगा आपको सात धाराओं में बहती नज़र आयेगी ,जिसके चलते इस स्थल को सप्त धारा भी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां सात ऋषि तपस्या कर रहे थे, गंगा नदी उनकी साधना को भंग नहीं करना चाहती थी, इसलिए वह सात हिस्सों में विभाजित हो गई. जब यह सातों लहरें एक जगह मिलती हैं,तो नीली झील के जैसे प्रतीत होती हैं.
अध्यात्म के साथ साथ यह स्थान देश प्रेम की भावना से भी जुड़ा है और इसकी गवाही 180 फीट ऊंचाई पर बसा भारत माता का मंदिर देता है . मंदिर का निर्माण 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के द्वारा करवाया गया था. यह देश का सबसे बड़ा भारत मां का मंदिर है.
इतना सब कुछ इस शहर के बारे में सुनकर आप भी ख़ुद को यहां पर आने से रोक नहीं पा रहे होगे, तो मैं भी आपको यहां पर आने का सही समय बता देती हूं. मानसून और सावन के माह को छोड़ कर घूमने के दृष्टिकोण से आप यहां कभी भी पहुंच सकते हैं.