पांडुखोली का नाम महाभारत के पांडव भाइयों के नाम पर रखा गया है. पांडुखोली की गुफाएँ द्वाराहाट से 27 किमी की दूरी पर स्थित हैं.
डाट काली मंदिर के नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर देहरादून के प्रसिद्ध केंद्रों में से एक है. देहरादून शहर से 14 किमी दूर शाहरानपुर रोड पर स्थित, डाट काली मंदिर में साल भर देवी काली के भक्त आते हैं.
पौड़ी गढ़वाल में स्थित ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है. यह अलकनंदा घाटी की गोद में बसा है और बर्फ से ढकी हिमालय पर्वतमाला के मन को तरोताजा कर देने वाले दृश्य प्रस्तुत करता है.
एक पौराणिक नाग के नाम पर स्थित कर्कोटक पहाड़ियां नाग मंदिर के लिए काफी प्रसिद्ध हैं और यहां हजारों तीर्थयात्री ऋषि पंचमी के अवसर पर नाग देवताकी पूजा करने आते हैं.
मां काली को समर्पित इस मंदिर में काली माता की कोई मूर्ती नहीं है बल्कि यहाँ माँ काली के एक श्री यंत्र की पूजा की जाती है. कालीमठ मंदिर उत्तराखंड 108 शक्तिपीठों में से एक है. समुद्रतल से 1800 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है.
झूला देवी मंदिर 8वीं शताब्दी का एक प्राचीन मंदिर है जो रानीखेत से 7 किमी की दूरी पर चौबटिया के पास स्थित है. कहा जाता है कि झूला देवी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती है जिसके बाद भक्त मंदिर में घंटी चढ़ाते है.
पिथौरागढ़ के घने देवदार के जंगलों के बीच स्थित है ये मंदिर. ऐसा माना जाता है कि देवी काली ने पश्चिम बंगाल से अपना निवास इस स्थान पर स्थानांतरित कर दिया था और तब से वे इस क्षेत्र की लोकप्रिय देवी हैं.
यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि जब हनुमान जी लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लेकर पर्वत ले जा रहे थे, तो पर्वत का एक टुकड़ा यहाँ गिरा और उस दिन से इस स्थान को 'दूनागिरी' कहने लगे.
ध्वज मंदिर भगवान शिव और देवी जयंती को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है. यह पिथौरागढ़ से 4 किमी दूर है जहां आप 9 मिनट में पहुंच सकते है. ये समुद्र तल से 2,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
हैडाखान मंदिर चिडियानाउला रानीखेत में स्थित है. हैडाखान को भगवान शिव का अवतार माना जाता है. हैडाखान का जन्म हमेशा से एक रहस्य रहा है.
गोलू देवता कुमांऊ क्षेत्र के पौराणिक और ऐतिहासिक भगवान है. यह मंदिर अल्मोड़ा से 15 किमी दूर है. गोलू देवता को भगवान शिव का अवतार माना जाता है.