आदि कैलाश 6,310 मीटर की ऊंचाई पर स्थित. आदि कैलाश को छोटा कैलाश भी कहा जाता है. ये पिथोरागढ़ जिले में भारत-तिब्बत सीमा के निकट स्थित है.
चंदक पहाड़ियाँ पिथौरागढ़ या 'सोर वैली' में एक प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखला है . पिथौरागढ़ से लगभग 8 किमी दूर स्थित, चंदक एक छोटी घाटी है जो नेपाल सीमा तक फैली हुई है.
चंद्रशिला समुद्र तल से लगभग 13,000 फीट की ऊंचाई पर है। चंद्रशिला का अर्थ 'मून रॉक' है. चंद्रनाथ पर्वत में पंच केदार का तुंगनाथ मंदिर स्थित है.
गढ़वाल का यह विशाल पर्वत 6,727 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. हाथी पर्वत के पास घुमावदार धौलीगंगा नदी बहती है. हाथी पर्वत, जिसे कभी-कभी 'हाथी शिखर' भी कहा जाता है, चमोली जिले के बद्रीनाथ क्षेत्र की एक प्रमुख चोटी है.
भीमताल से 5 किमी की दूरी पर स्थित एक हरा-भरा इलाका है. इस पहाड़ी का नाम हिडिम्बा नामक राक्षसी के नाम पर रखा गया है, जो महाभारत कथा के पांडव भाइयों में से एक भीम की पत्नी थी.
कालाढूंगी उत्तराखंड के नैनीताल जिले में 500 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय की तलहटी में बसा एक खूबसूरत शहर है.
नैना पीक नैनीताल की सबसे ऊंची पहाड़ी चोटी है. नैनताल में स्थानीय लोग इस चोटी को चाइना पीक और चीना पीक भी कहते हैं. नैना पीक से नैनीताल शहर, हिमालय और कुमाऊं क्षेत्र के दिखाई देता है.
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित नीलकंठ चोटी अलकनंदा घाटी और बद्रीनाथ शहर के ऊपर 6,596 मीटर की ऊंची ऊंचाई पर स्थित है. सतोपंथ ग्लेशियर नीलकंठ के उत्तर-पश्चिमी किनारे पर स्थित है.
पंचचूली चोटियाँ उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ जिले में मुनस्यारी के पास पूर्वी कुमाऊँ क्षेत्र के अंत में स्थित पाँच बर्फ से ढकी हिमालय चोटियों का एक समूह है. चोटियों की ऊंचाई 6,334 मीटर से लेकर 6,904 मीटर तक है.
स्वर्गारोहिणी चोटियों का विशाल पर्वत समूह गढ़वाल हिमालय की सरस्वती श्रृंखला में बसा हुआ है. स्वर्गारोहिणी को 'स्वर्ग का मार्ग' भी कहा जाता है, यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है.