फूलों की घाटी में स्वर्ग का अहसास, जून में खुलते ही उमड़ता है सैलानियों का सैलाब

Pradeep Kumar Raghav
May 21, 2024

फूलों की घाटी

उत्तराखंड के चमोली स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी विभिन्न प्रकार के फूलों और हिमालयी वनस्पतियों को अनुपम खजाना है. जो एक जून से 30 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी.

500 से अधिक प्रजाति के फूल

फूलों की घाटी में प्रिमुलस, एनीमोन्स, मार्श मैरीगोल्ड्स, एस्टर, ब्लू पॉपी, जेरेनियम, कोबरा लिली, ब्लूबेल और ब्रह्म कमल आदि फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां देखी जा सकती हैं.

फूलों के अलावा बहुत कुछ

फूलों के अलावा यह घाटी घास के मैदानों, वनस्पतियों और बर्फ से ढकी चोटियों के मनोरम दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है. यहां से टिपरा ग्लेशियर, रताबन चोटी, गौरी और नीलगिरी पर्वत के विहंगम नजारे भी देखने को मिलते है.

फूलों के साथ ट्रैक्रिंग का मजा

नंद कानन के उप वन संरक्षक से मिली जानकारी के मुताबिक पहला दल एक जून को घांघरिया बेस कैंप से रवाना किया जाएगा. पर्यटकों को फूलों की घाटी की ट्रैकिंग करने के बाद उसी दिन बेस कैंप घांघरिया वापस आना होगा, जहां उनके ठहरने के लिए उचित व्यवस्था है.

फूलों की घाटी की सैर का शुल्क

वैली ऑफ फ्लावर यानी फूलों की घाटी की ट्रैकिंग के लिए देसी नागरिकों को 200 रुपये और विदेशी नागरिकों को 800 रुपये शुल्क देना होता है. ट्रैक को सुगम और सुविधाजनक बनाया गया है.

विश्व धरोहरों में शामिल

फूलों की घाटी ट्रैक हिमालय में भारत के सबसे लोकप्रिय ट्रेकों में से एक है. वर्ष 1980 में भारत सरकार ने फूलों की घाटी को नेशनल पार्क बनाया और बाद में 2002 में इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दे दी.

भ्यूंदर घाटी कहलाई वेली ऑफ फ्लावर

1931 से पहले इसे स्थानीय लोग इसे भ्यूंदर घाटी कहते थे लेकिन 1931 जब ब्रिटिश पर्वतारोही यायावर फ्रेंक स्माइथ यहां से गुजरे तो उन्होंने इस वेली ऑफ फ्लॉवर का नाम दिया और इसी शीर्षक पर हिमालय में स्थित फूलों के अद्भुत संसार पर किताब भी लिखी.

जैव विविधता से भरपूर

फूलों की घाटी जैव विविधिता से भरपूर है. यहां नीली भेड़, कस्तूरी मृग, काले और भूले भालू , हिम तेंदुए के अलावा विभिन्न प्रकार के पुश-पक्षी पाए जाते हैं. इसके अलावा यहां दुर्लभ प्रजाति की तितलियां भी देखी जा सकती हैं.

धार्मिक महत्व

फूलों की घाटी का धार्मिक महत्व भी है. मान्यता है कि यह वही प्राकृतिक सौंदर्य, फूलों और वनाषौधियों का उपवन है जिसे जिसे नंद कानन वन कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार नन्द कानन वन में देवताओं का निवास हुआ करता था.

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