उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को लेकर खुशखबरी आई है. 11 दिनों से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन कुछ ही देर में सफल होने वाला है. टनल में फंसे सभी मजदूर कुछ ही देर में बाहर आ जाएंगे. तो आइये जानते हैं कब-कब क्या हुआ.
दरअसल, 12 नवंबर को जब पूरा देश दिवाली का पर्व मना रहा था, तभी उत्तरकाशी का सिलक्यारा सुरंग ढह गई. टनल ढहने से वहां काम कर रहे 41 मजदूर अंदर फंस गए.
सुरंग से मलबा गिर रहा था, ऐसे में तत्काल मलबे को रोकने के लिए हादसे के अगले दिन यानी 13 नवंबर को कंक्रीट लगाया गया. साथ ही उसी दिन 25 मीटर तक मिट्टी भी हटाई गई.
अगले दिन यानी 14 नवंबर को मजदूरों को टनल से बाहर निकालने के लिए छोटी मशीन से ड्रिल का काम शुरू किया गया. सुरंग में स्टील की पाइप डालकर रेस्क्यू ऑपरेशन की योजना बनाई गई.
15 नवंबर को दिल्ली से ऑगर ड्रिलिंग मशीन मंगाई गई. उसी दिन शाम तक ऑगर मशीन उत्तरकाशी पहुंच गई.
इसके बाद 16 नवंबर को ड्रिल के जरिए सुरंग में पाइप डाली गई. इसके लिए हाई कैपेसिटी की अमेरिकी मशीन भी मंगवाई गई.
17 नवंबर को 41 मजदूरों को टनल से बाहर निकालने के लिए अमेरिकी मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गई. हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन चल नहीं सका.
18 नवंबर को इंदौर से आई दूसरी ऑगर मशीन एयरलिफ्ट कर मंगाई गई. ड्रिल करते समय मलबा गिरने से रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया.
19 नवंबर को नए सिरे से ड्रिलिंग का काम दोबारा शुरू किया गया. टनल के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग करने की कोशिश की गई.
20 नवंबर को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ घटनास्थल का जायजा लिया. इस दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन में रोबोट की मदद की बात कही गई.
21 नवंबर को टनल में 6 इंच की पाइप मलबे में डालने में सफलता मिली. इसके जरिए मजदूरों को अंदर खाना-पानी पहुंचाया गया. इसके अलावा पाइप के जरिए मोबाइल चार्जर और अन्य सामान भी भेजा गया. इसी दिन टनल में फंसे मजदूरों की पहली बार तस्वीरें भी सामने आईं.
22 नवंबर को टनल के अंदर सभी मजदूरों के लिए सुबह नाश्ता भेजा गया. दोपहर में खाना भी भेजा गया. देर रात तक रेस्क्यू कर मजदूरों को बाहर निकलने की बात कही गई. घटनास्थल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहुंचे.