इस बार विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर दिन रविवार को पड़ रही है. सुबह 07 बजकर 50 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक शुभ मुहूर्त है.
वहीं, दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से 3 बजकर 30 मिनट तक भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जा सकती है.
माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के लिए महलों, हथियारों और इमारतों का निर्माण किया था. इसीलिए विश्वकर्मा जयंती के दिन औजारों-मशीनों, हथियारों और लोहे की पूजा की जाती है.
मान्यता यह भी है कि भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र थे. इन्हें निर्माण का देवता माना जाता है.
मान्यता है कि रावण की लंका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ और श्रीकृष्ण के लिए द्वारका का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था.
साथ ही भगवान विश्वकर्मा ने यमराज का कालदंड, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, भगवान शिव का त्रिशूल, पुष्पक विमान समेत कई अस्त्र-शस्त्र और उपकरणों का निर्माण किया.
भगवान विश्वकर्मा को यंत्र, औजार, उपकरणों का भी देवता माना जाता है. इनके पांच पुत्र मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और दैवज्ञ हैं.