मैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले ... वसीम बरेलवी की ये शायरी दिल घायल कर देंगी

Rahul Mishra
Dec 07, 2024

शेर 1

वो जितनी दूर हो उतना ही मेरा होने लगता है। मगर जब पास आता है तो मुझ से खोने लगता है।।

शेर 2

अपने अंदाज़ का अकेला था। इस लिए मैं बड़ा अकेला था।।

शेर 3

अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे। तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे।।

शेर 4

झूट वाले कहीं से कहीं बढ़ गए। और मैं था कि सच बोलता रह गया।।

शेर 5

उस ने मेरी राह न देखी और वो रिश्ता तोड़ लिया। जिस रिश्ते की ख़ातिर मुझ से दुनिया ने मुँह मोड़ लिया।।

शेर 6

उसे समझने का कोई तो रास्ता निकले। मैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले।।

शेर 7

दिल की बिगड़ी हुई आदत से ये उम्मीद न थी। भूल जाएगा ये इक दिन तिरा याद आना भी।।

शेर 8

तुम साथ नहीं हो तो कुछ अच्छा नहीं लगता। इस शहर में क्या है जो अधूरा नहीं लगता।।

शेर 9

मोहब्बतों के दिनों की यही ख़राबी है। ये रूठ जाएँ तो फिर लौट कर नहीं आते।।

शेर 10

दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता। तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता।।

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