चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने ऐसे लोगों का जिक्र किया है, जो धन कमाने में काफी आगे होते हैं लेकिन इनकी आदतें गरीब बनाकर रखती हैं. जानते हैं कैसे होते हैं ऐसे लोग?
कुछ लोग खुद को सबसे ऊपर दिखाने के लिए गलत तरीकों से पैसे तो खूब कमाते हैं लेकिन अंदर से खोखले होते हैं. ये बाहरी लोगों को प्रभावित करने के लिए बिना सोचें-समझे पैसे खर्च करते हैं.
चाणक्य नीति के अनुसार, जो बिना सोचे-समझे पैसे खर्च करता है. उसका फायदा दूसरे लोग भी खूब उठाते हैं और बेहिसाब पैसे खर्च करने के कारण इन लोगों के हाथ खाली ही रह जाते हैं.
कुछ लोग खुद को शक्तिशाली दिखाने के लिए लोगों का गुट बनाकर उनका नेता बनना चाहते हैं. ये दूसरों को अपनी तरफ करने के लिए उन्हें खिला-पिलाकर या अपने पैसों का दिखावा करते हैं.
चाणक्य कहते हैं ऐसे लोगों में आत्म विश्वास की कमी होती है और अकेले खड़े रहने की हिम्मत नहीं होती. अपनी इस हीनभावना के चलते एक कदम आगे बढ़ते हुए ये फिर्जूल खर्च बढ़ा लेते हैं.
ऐसे लोग जीवन की हर चीज को पैसों से तोलते हैं. खुद को खुशहाल दिखाने के लिए ऐसे लोग सुख-सुविधा देने वाली हर चीज खरीद लेते हैं. कुछ हासिल करने के लिए कितने भी पैसे देने को तैयार रहते हैं.
ऐसे लोगों की प्रवृत्ति इतनी बढ़ जाती है कि इन्हें लगने लगता है कि ये पैसों से कुछ भी यहां तक की किसी इंसान को भी खरीद सकते हैं. इनकी यही सोच इन पर हावी हो जाती है और सब कुछ गंवा देते हैं.
नशे के आदी लोग गलत तरीकों से काफी धन कमाते हैं, लेकिन चाणक्य के अनुसार नशा व्यक्ति के विवेक को नष्ट कर देता है, इसलिए नशे की लत में डूबा व्यक्ति कभी भी सोच-समझकर खर्च नहीं करता.
लालची लोगों में 'थोड़ा और थोड़ा और' की भावना कूट-कूटकर भरी होती है. इनका मन दौलत से भी कभी संतुष्ट नहीं होता. अपनी तिजोरी भरने के लिए लालची लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं.
लालची लोगों की आदत कभी-कभी इन पर भारी भी पड़ जाती है. लालची होने की वजह से इनकी बनाई रणनीतियां इन पर उल्टी पड़ जाती हैं और ऐसे लोग अपना सब कुछ गवां बैठते हैं.
यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं और ज्योतिष विधाओं पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.