आज कल हर दूसरे व्यक्ति से सुनने को मिल जाता है कि हमें और हमारे परिवार को हाय लग गई है.
लोग इससे काफी परेशान रहते हैं और अक्सर इससे बचने का उपाय ढूढ़ते हैं. कई संत इस पर अपनी-अपनी राय रख चुके हैं.
अब हाल ही में भगवान कृष्ण और राधा रानी के उपासकों में से एक प्रेमानंद जी महाराज ने लोगों के दिल से निकली आह और हाय लगने पर अपने विचार रखें.
प्रेमानंद जी महाराज के मुताबिक, किसी के दिल से निकली हाय/बद्दुआ अकाट्य होती है. उसका कोई तोड़ नहीं होता.
प्रेमानंद महाराज के मुताबिक, अगर आपने किसी भी जीव-जंतु को कष्ट देते हैं और उसके हृदय से आह निकल जाए तो वो आह मनुष्य को भोगनी पड़ती है.
प्रेमानंद महाराज ने भीष्म पितामह का उदाहरण देते हुए समझाया कि उन्होंने तीर की नोंक से सांप को मारकर कांटों पर फेंक दिया था.
वह सांप कई दिनों में तड़प-तड़पकर मरा था और उसकी आह निकली थी. उस सांप की आह का ही नतीजा था कि भीष्म पितामह को 6 महीने तक बाणों की शैया पर तड़पना पड़ा था.
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जिंदगी में किसी की आह नहीं लेनी चाहिए क्योंकि यह मनुष्य को मिट्टी में मिलाने का सामर्थ्य रखती है.
प्रेमानंद जी महाराज के मुताबिक, किसी के भी दिल से निकली बद्दुआ कभी खाली नहीं जाती है और उसका नुकसान आपको झेलना ही पड़ता है.
वे कहते हैं भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में मन लगाकर मनुष्य अपने सभी ऋणों से मुक्त हो सकता है. इसके बचने का बस यही उपाय है.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.