आप सभी ने सप्तर्षियों के बारें में जरूर सुना होगा. सनातन धर्म में इन ऋषि-मुनियों का बड़ा महत्व है. इनकी उत्पत्ति कैसे हुई और काम क्या हैं.
पद्मपुराण, विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण समेत कई धर्म ग्रंथों के अनुसार सप्त ऋषियों की उत्पत्ति ब्रह्माजी के मस्तिष्क से हुई है.
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार इन सभी सातों ऋषियों के गुरू भगवान शिव थे, जिसने इनको ज्ञान प्राप्त हुआ था.
भगवान ब्रह्मा द्वारा इनकी रचना इस सृष्टि पर संतुलन बनाने के लिए हुई. इनका काम धर्म और मर्यादा की रक्षा करना है.
वसिष्ठ ब्रह्मा के मनसपुत्र और ब्रह्मर्षि थे. वे आध्यात्मिक ज्ञान के प्रतीक रहे हैं और विशेष रूप से सृष्टि के कार्यों में ब्रह्मा के सहायक थे.
जमदग्नि ऋषि भगवान परशुराम के पिता थे. वे तपस्या, ध्यान और यज्ञ के प्रतीक थे.
अत्रि ऋषि अनसूया के पति थे और उनके एक पुत्र के रूप में भगवान धत्तात्रेय प्रसिद्ध हैं.
विश्वामित्र पहले राजा थे लेकिन उन्होंने तपस्या करके ऋषि बने और उन्होंने गायत्री मंत्र का उपदेश दिया.
गौतम ऋषि का जीवन परम शांति और साधना में विशेष रूप से गुजरा. उन्होंने बुद्धि और शांति के प्रतीक के रूप में भी उपस्थित हैं.
कश्यप ऋषि देवताओं और आसुरों के पिता माने जाते हैं. उन्होंने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान दिया.
अंगिरस ऋषि विशेष रूप से यज्ञों और वेदों के प्रमोटर रहे हैं. उन्होंने ज्योतिष्क शास्त्र का उपदेश दिया था.