डाकू अंगुलिमाल की कहानी काफी रोचक है. कैसे एक डाकू संत बन गया. दरअसल अंगुलिमाल लोगों को मारकर उनकी उंगलियों की माला पहनता था.
श्रावस्ती का खूंखार डाकू का बचपन का नाम अहिंसक था. वह एक विद्वान ब्राह्मण था. गुरु के श्राप के कारण हत्याएं कर उंगली काटता था.
अंगुलिमाल कौशल नरेश के राजपुरोहित का पुत्र था. किशोरावस्था में इन्हें शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल भेजा गया था.
दरअसल,अंगुलिमाल के विलक्षण बुद्धि होने के कारण गुरु ने इन्हें अपने घर में पनाह दी थी. अहिंसक बड़ा मेधावी छात्र था. आचार्य का परम प्रिय भी था.
ऐसा कहा जाता है कि कुछ ईर्ष्यालु सहपाठियों ने आचार्य को अहिंसक के बारे में झूठी बातें बताकर अहिंसक के विरुद्ध कर दिया था.
आचार्य ने अहिंसक को आदेश दिया कि वह सौ व्यक्तियों की उंगलियां काट कर लाए. इसके बाद आखिरी शिक्षा देंगे.
अहिंसक गुरु की आज्ञा मान कर हत्यारा बन गया था. इस कारण लोगों की हत्या कर के उंगलियों को काट कर उनकी माला पहनने लगा.
अंगुलिमाल श्रावस्ती के विशाल जंगल के बीच रहता था. ऐसा कहा जाता है कि जो भी जंगल से गुजरता था उसकी उंगलियां काटकर माला में पिरोता था.
दरअसल, वह जितने भी लोगों की हत्या करता था उसकी गिनती की जा सके. इसलिए ऊंगलिया गायब न हो उसकी माला बनाकर पहनता था.
जानकारी के मुताबिक गौतम बुद्ध से मिलकर अंगुलिमाल का हदय परिवर्तन हो गया था,और डाकू से भिक्षु बन गया था.