महाभारत का युद्ध जीतने के लिए कौरवों ने हर चाल चली थी. कौरवों ने छल करके अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को मार दिया. इसके बाद पांडवों ने योजना बनाकर कौरवों की सेना को हरा दिया था.
सबसे आखिरी में कौरवों में दुर्योधन मारा गया था, आखिरी समय में उसके साथ में उसका मित्र अश्वत्थामा था, जिससे दुर्योधन ने आखिरी इच्छा पूरी करने का वचन मांगा था.
दुर्योधन ने अश्वत्थामा से वचन मांगा कि वह पांडवों का वध कर दे. इसके बाद अश्वत्थामा ने पांडवों को मारने की योजना बनाई.
अश्वत्थामा ने रात के समय पांडवों के विश्राम कक्ष में घुसकर द्रौपदी के पांचों पुत्रों को मार दिया था.
अश्वत्थामा को पता चला कि पांडवों का कुल नाश नहीं हुआ है. अभिमन्यु का पुत्र उत्तरा की कोख में पल रहा है.
इसके बाद अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर उत्तरा की कोख में वार किया था.
अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र के उपयोग के बाद कृष्ण ने उसे चिरकाल तक धरती पर भटकने का श्राप दिया था.
श्रीकृष्ण ने अपने पुण्य का उपयोग कर उत्तरा के पुत्र परीक्षित को नया जीवन दिया.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपी-यूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.