महाभारत का भयंकर युद्ध कौरव और पांडवों के बीच लड़ा गया था. इस युद्ध में आपने अर्जुन से लेकर कई पात्रों के बारे में आपने सुना होगा.
लेकिन क्या आप महाभारत के पात्र विदुर को जानते हैं? जिन्होंने कौरवों की सेना में होकर भी युद्ध नहीं लड़ा था. आइए जानते हैं उनके बारे में.
विदुर वेद व्यास और एक दासी के बेटे थे. उनको धर्म का ज्ञानी माना जाता था.वह धृतराष्ट्र को धर्म से संबंधित सलाह और मार्गदर्शन करते थे.
विदुर ने जब दुर्योधन का जन्म हुआ तो उसे मार देने को कहा था क्योंकि ये बालक आगे चलकर कुरु वंश का नाश कर देगा.
हालांकि कहा जाता है कि उन्होंने दुर्योधन को मार डालने की सलाह उसके जन्म उपरांत कभी नहीं दी. बल्कि धृतराष्ट्र से दुर्योधन को त्याग देने के लिए कहा.
महाभारत के मुताबिक दुर्योधन के जन्म के बाद हस्तिनापुर में कई अपशकुन हुए. इससे विदुर ने अनुमान पहले ही लगा लिया था कि दुर्योधन समस्त कुरूवंश के विनाश का कारण बनेगा
विदुर ने धृतराष्ट्र को सिंहासन पर बैठेने से रोक दिया था. उनकी जगह पांडु का राज्याभिषेक किया गया.
विदुर का धर्म था, जो युद्ध में कौरवों की ओर से युद्ध करने के लिए मना कर रहा था. वो पांडवों की ओर से लड़ नहीं सकते थे क्योंकि वह हस्तिनापुर को धोखा नही दे सकते थे.
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.