अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु क्यों बना श्रीकृष्ण का सबसे बड़ा शत्रु

Amrish Kumar Trivedi
May 02, 2024

पिता की तरह महान धनुर्धर

महाभारत में अभिमन्यु बहुत पराक्रमी और कुशल योद्धा था. वो अपने पिता की तरह ही महान धनुर्धर था.

अभिमन्यू और चक्रव्यूह

अभिमन्यु ने अपनी मां सुभद्रा के गर्भ में चक्रव्यूह को काटने की पूरी कहानी सुनी थी, लेकिन अर्जुन द्वारा सातवां अध्याय सुनाने के पहले ही वो सो गईं.

छल से मारा गया

महाभारत के एक छंद में यह लिखा है कि पहले अभिमन्यु भगवान कृष्ण का बड़ा शत्रु भी था. मान्यता है कि अभिमन्यु चंद्रदेव का बेटा था और चंद्र देव कतई नहीं चाहते थे कि उनका पुत्र धरती पर जन्म ले.

पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा

श्री कृष्ण के आदेश पर उसे पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा, पर चंद्र देव ने मन से इसे स्वीकार नहीं किया. ऐसे में चंद्रदेव के पुत्र का पहला जन्म क्रूर राक्षस के तौर पर हुआ, जो मलेच्छ देश का राजा कालयवन था.

कालयवन का क्रूर शासन

कालयवन के जुल्मों से मथुरा ही नहीं पूरी हिल गई और श्री कृष्ण ने कालयवन के वध का निर्णय ले लिया।

छल से मारा गया

जब जरासंध और कालयवन ने मथुरा पर आक्रमण किया तब श्री कृष्ण ने कालयवन को महाराज मुचकुन्द के हाथों छल से मरवा दिया था.मौत के बाद कालयवन फिर चंद्रलोक पहुंचा.

चंद्र देव ने मांगी क्षमा

चंद्रदेव ने भूल स्वीकार कर कृष्ण से क्षमा मांगी और दोबारा अपने पुत्र को पृथ्वी पर जन्म लेने देने का अनुरोध किया. तब श्री कृष्ण ने चंद्र देव के पुत्र को अर्जुन के बेटे अभिमन्यु के रूप में जन्म लेने को कहा.

परम शत्रु बना

यानी अभिमन्यु पूर्व जन्म में श्री कृष्ण का परम शत्रु था और उसका वध श्रीकृष्ण लीला से हुआ था. लेकिन महाभारत काल में भी वो भगवान का भक्त बना.

श्रीकृष्ण ने भेजा

महाभारत में भी भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को चक्रव्यूह तोड़ने के लिए भेजने की सलाह दी. कृष्ण को यह भी पता था कि अभिमन्यु चक्रव्यूह तोड़ना जानते हैं,लेकिन बाहर निकलना नहीं.

युद्ध में निपुण

अभिमन्यु ने बहुत कम उम्र में युद्ध कौशल सीखा था और कौरवों के कई महारथियों को हराया. चक्रव्यूह में फंसने के बावजूद कोई भी कौरव योद्धा द्वंद युद्ध में अभिमन्यु को हरा नहीं पाया था.

चक्रव्यूह में मारा गया

जयद्रथ ने पांडवों को व्यूह में जाने से रोका था और चक्रव्यूह के आखिरी चरण से अनजान अभिमन्यु फंस गया. द्रोणाचार्य, दुर्योधन, कर्ण समेत सभी कौरवों ने युद्ध के मानकों को तिलांजलि देकर निहत्थे अभिमन्यु पर हमला किया.

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