हस्तिनापुर के अधिपति धृतराष्ट्र के बारे में कई तरह की कहानियां प्रचलित है. महाभारत महाकाव्य में इसके बारें में उल्लेख मिलता है.
हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र अंधे थे, पर क्या आपने कभी सोचा है कि वो अंधे क्यो हुए या फिर वो जन्म से ही अंधे थे.
धृतराष्ट्र को अंधापन उनके पिछले जन्म के मिले एक श्राप के कारण मिला था. आइये जानते है क्या था वो श्राप
बताया जाता है कि धृतराष्ट्र अपने पिछले जन्म में बहुत निर्दयी और क्रूर राजा थे. एक बार वह जंगल में शिकार पर निकले
शिकार करते- करते उनकी नजर नदी में अपने बच्चों के साथ तैर रहे एक हंस पर पड़ी.
धृतराष्ट्र ने आदेश दिया की इस हंस की दोनों आंखे फोड़ दी जाए और उसके बच्चों को मार दिया जाए.
धृतराष्ट्र के इसी बुरे काम का श्राप उनको इस जन्म में भोगना पड़ा और वह जन्म से ही अंधे पैदा हुए
उनके बच्चों की भी मृत्यु ठीक उसी प्रकार हुई जिस प्रकार उन्होंने हंस के बच्चों को मारने का आदेश दिया था.
बताया जाता है कि धृतराष्ट्र बल विद्या में पांडू और विदुर से ज्यादा सक्षम थे. पांडू धनुर्विद्या और वदुर धर्म और नीति के ज्ञान में परांगत थे.