चोटी रखने से सहस्रार चक्र जागृत रहता है जिससे बुद्धि, मन और शरीर पर नियंत्रण रखने में सहायता मिलती है.
विज्ञान के अनुसार इस स्थान पर मस्तिष्क का केंद्र होता है. इसी केंद्र से शरीर के सभी अंगों, बुद्धि और मन को नियंत्रित किया जाता है.
जिसकी कुंडली में राहु नीच का हो या फिर राहु के कारण अनेक कष्ट आ रहे हों उसे माथे पर तिलक और सिर पर चोटी रखनी चाहिए.
मान्यता है कि सहस्रार चक्र का आकार गाय के खुर के बराबर होता है. इसीलिए चोटी भी गाय के खुर के बराबर ही होनी चाहिए.
दान, धर्म, पूजा पाठ और भोजन करते समय चोटी को गांठ बांधकर रखना चाहिए.
नित्यकर्म शौच और स्नान करते समय चोटी खोल देनी चाहिए.