राम नाम की महिमा अपरंपार है. कलियुग में नाम जप का विशेष महत्व है. 'राम' का नाम ही ऐसा है जो जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी इंसान के साथ रहता है.
जन्म लेने वाले को एक दिन दुनिया छोड़नी ही पड़ती है. इस दुनिया में कोई भी अमर नहीं है. यह बात हर कोई जनता है.
मरने के जब शव को अंतिम संस्कार के लिए लेकर जाते हैं, तो "राम नाम सत्य" कहते हैं, क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों कहते हैं. आइए जानते हैं इसकी असल वजह
शास्त्रों के मुताबिक राम नाम सत्य कहने का एक कारण यह भी है कि, मान्यता है कि मृत्यु के बाद भी हमारे कुछ अंग सक्रिय होते हैं.
जिनमें कान भी एक है. इसलिए अंतिम समय में अमृतरूपी राम का नाम लिया जाता है. जिससे यह शब्द मृतक के कान में जाए और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो.
राम नाम सत्य है कहने के कई कारणों में एक है कि, शव को श्मशान ले जाने वाले मौजूद व्यक्तियों को यह मालूम हो कि, मृत्यु के बाद संसार में हर कुछ धरा का धरा रह जाता है.
केवल कर्म ही साथ जाते हैं. क्योंकि कर्म श्रीराम की तरह अमर हैं. इसलिए जीवन में रहते हुए अच्छे कर्म करें.
राम नाम सत्य है कहे जाने के अन्य कारण यह भी है, यह शब्द सुनने के बाद मार्ग पर चल रहे लोगों का ध्यानाकर्षण हो और वे समझ जाए कि शवयात्रा जा रही है.
जिससे शवयात्रा के लिए मार्ग खाली छोड़ दे. क्योंकि शवयात्रा को कहीं भी रोकना अशुभ माना गया है और इसलिए शवयात्रा घर से निकलने के बाद श्मशान तक लगातार चलती रहती है
यह लेख सामान्य जानकारियों पर आधारित है, जी न्यूज इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.