रेलवे की तरह मेट्रो ट्रैक पर पत्थर क्यों नहीं पड़े होते हैं
ट्रेन से आपने खूब सफर किया होगा. आपकी निगाहें पटरियों पर भी गई होंगी.
देखा होगा कि ट्रेन की पटरियों के बीच नुकीले पत्थर पड़े होते हैं.
लेकिन मेट्रो के ट्रैक पर ऐसा नहीं होता. आखिर इसकी क्या वजह है. आइए जानते हैं.
ट्रेन के पटरियों के बीच पड़े पत्थरों को बैलेस्ट कहा जाता है.
ये ट्रेन के शोर को कम करती हैं और बीच में पड़े स्लीपर को फैलने से रोकती हैं.
रेलवे को इनके रख-रखाव के लिए खास ध्यान रखना पड़ता है. कई बार रेलवे ट्रैक को ब्लॉक भी करना पड़ता है.
वहीं मेट्रो ट्रैक ज्यादा व्यस्त होते हैं. इनको बार-बार ब्लॉक नहीं किया जा सकता है. इसीलिए इनको बिना बैलेस्ट के बनाया जाता है.
कम दूरी पर ट्रैक पर कंक्रीट से स्लीपर फिक्स कर दिए जाते हैं और पत्थरों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
लेकिन हजारों किलोमीटर लंबी पटरियों को कंक्रीट से पाटना आसान नहीं है. इसलिए वहां पत्थर का इस्तेमाल होता है.
इसके अलावा मेट्रो ट्रैक ऊंचे या अंडरग्राउंड होते हैं. जहां पत्थर डालने जैसे मेंटेनेंस करना मुश्किल काम है.
मेट्रो ट्रैक बनाने में खर्च थोड़ा ज्यादा आता है लेकिन इनका रख-रखाव सुविधाजनक रहता है.