उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद कस्बे में दारुल उलूम मदरसा स्थित है.
इसकी स्थापना साल 1866 में पहल स्वतंत्रता संग्राम विफल होने के बाद की गई थी.
इस मदरसे की आधारशिला हाजी आबिद हुसैन, मौलाना क़ासिम नानौतवी, फजलुर्रहमान, उस्मान, मेहताब अली, निहाल अहमद और जुल्फिकार अली ने मिलकर रखी थी.
दारुल उलूम के पहले उस्ताद मुल्ला महमूद तो वहीं पहले छात्र मौलाना महमूदुल हसन थे. जिन्होंने बाद में मिलकर रेशमी रुमाल आंदोलन चलाया था.
इसका लक्ष्य स्वतंत्रता संग्राम के लिए भारतीय मुसलमानों को प्रेरित करने के साथ उन्हें धार्मिक शिक्षा देना था.
दारुल उलूम देवबंद मदरसे में छात्रों को इस्लाम धर्मशास्त्र, हदीस, कुरान व्याख्या, अरबी भाषा और साहित्य के साथ-साथ कई अन्य विषयों को भी पढ़ाया जाता है.
फिलहाल मदरसे में तकरीबन 40 हजार छात्र तो वहीं लगभग 2000 उस्ताद हैं.
वहीं यूपी में आज की तारीख में 560 अनुदानित मदरसे हैं. जहां तकरीबन 9500 अध्यापक छात्रों को तालीम देते हैं.
आपको बता दें कि आज यूपी में कुल मिलाकर तकरीबन 16 हजार मदरसे हैं. जिनमें लगभग 13 लाख 57 हजार छात्र पढ़ते हैं.