हिंदू धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार किया जाता है. हिन्दू धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं जिनमें से 16वां संस्कार अंतिम संस्कार होता है.
मरने वाली की आत्मा की शांति के लिए 13 दिनों तक कई धार्मिक कर्मकांड किए जाते हैं.
हिंदू धर्म और गरुण पुराण के अनुसार माना गया है कि दाह संस्कार के बाद शरीर के नष्ट हो जाने के बाद भी आत्मा होती है.
ऐसा माना जाता है कि इसके बाद ही उसकी आत्मा को शांति मिलती है. इसका पूरा वर्णन गरुड़ पुराण में मिलता है.
गरुड़ पुराण के मुताबिक यदि श्मशान से जाते समय पीछे मुड़कर देखा, जाए तो इससे आत्मा को परलोक जाने में परेशानी होती है.
जिसका कारण यह है कि आत्मा का परिवार के प्रति उसे दूसरे लोक में जाने से रोकता है.
इसलिए यह कहा जाता है कि अंतिम संस्कार के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए.
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कभी भी सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार नहीं किया जाता. ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा करने पर आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती.
गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि शव का अंतिम संस्कार हो जाने के बाद घर को धार्मिक रूप से पवित्र और शुद्ध करना जरूरी है.
वहीं, हिंदू मान्यताओं के अनुसार, श्मशान घाट में महिलाओं के जाने की भी मनाही होती है.
गरुण पुराण में कहा गया है कि अगर मृत शरीर को अग्निदाह देते हुए कोई रोता है, तो इससे व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती.