आचार्य चाणक्य के मुताबिक, धर्म हमेशा मानवता सिखाता है. आपसी प्रेम का उपदेश देता है. दया और प्रेम किसी भी धर्म के आभूषण हैं.
जो धर्म आपको हिंसा का मार्ग दिखाए, दया के उपदेश न देकर गलत राह पर ले जाए, तो ऐसे धर्म को बिना किसी संकोच के त्याग देना चाहिए.
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, बिना दया के कोई भी धर्म मनुष्य को सही रास्ता नहीं दिखा सकता. इसलिए इसका त्याग करना जरूरी है.
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, पति-पत्नी का रिश्ता तभी प्रेमपूर्वक चल सकता है, जब दोनों को अपने रिश्ते और कर्तव्य का आभास हो.
जो पत्नी क्रोधी स्वभाव की हो, घर में क्लेश का माहौल बनाकर रखती हो. पति का साथ न देती हो, सही मायने में उसे जीवनसंगिनी कहलाने का हक ही नहीं है.
जिस भाई या बहन में आपके प्रति प्रेम न हो, सम्मान न हो, जिसको आपके दुख और सुख का कोई फर्क न पड़ता हो, उसे छोड़ने में ही आपकी भलाई है.
भाई-बहन को कठिन समय का सहारा माना जाता है. आचार्य चाणक्य के मुताबिक, भाई या बहन में आपके प्रति प्रेम होना चाहिए. वरना ऐसे रिश्ते बोझ से ज्यादा कुछ नहीं होते.
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, गुरु शिष्य के भविष्य का निर्माता होता है इसलिए उन्हें माता-पिता के समान ही उच्च स्थान दिया गया है.
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, अगर आपका गुरु ही ज्ञानहीन है या वो गलत राह पर ले जाता है, तो वो गुरु कहलाने लायक नहीं. ऐसे गुरु का आज ही त्याग कर दें.
यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं/ चाणक्य नीति पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.