Indian Railways : भारतीय रेलवे एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. इतना बड़ा नेटवर्क होने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय रेलवे से प्रतिदिन करोड़ों लोग यात्रा करते हैं. भारतीय रेलवे को यह उपलब्धि दिलाने में रेल पटरियों का खास रोल है. वर्षों पहले बिछाई गईं ये रेल पटरियां भारी भरकम गाड़ियों का भार सहते हुए यात्रियों और उनके लगेज को गंतव्‍य तक पहुंचाने में पूरी मदद करती हैं. बारिश हवा तूफान झेलने के बाद भी इन लोहे की पटरियां पर जंग नहीं लगता. तो आइये जानते हैं लोहे से बनी पटरियों की मजबूती के बारे में.  


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लोहे पर जंग कैसे लगता है?
पहले जानते हैं कि लोहे की बनी वस्‍तुओं पर जंग क्‍यों लगता है. दरअसल, जब लोहे से बनी वस्‍तुएं नम हवा में या गीली होने पर ऑक्‍सीजन के साथ प्रतिक्रिया करती हैं तो लोहे पर आयरन ऑक्‍साइड की एक भूरे रंग की परत जमा हो जाती है. यह भूरे रंग की कोटिंग लोहे की ऑक्‍सीजन के साथ प्रतिक्रिया के कारण आयरन ऑक्‍साइड बनाने के कारण होती हैं. इसे ही लोहे में जंग लगना कहा जाता है. 


रेल पटरियों पर जंग क्‍यों नहीं लगता 
जानकारी के मुताबिक, रेल की पटरियों को बनाने में एक खास तरह के स्‍टील का इस्‍तेमाल किया जाता है. इसमें 12 फीसदी मैग्‍नीज और 0.8 फीसदी कार्बन होता है. यही वजह होती है कि धूप-बारिश और हवा नमी के बीच भी लोहे की पटरियों पर आयरन ऑक्‍साइड नहीं बनता. यानी लोहे की इन पटरियों पर जंग नहीं लगता. 


वर्षों से नहीं बदली गईं पटरियां 
इस विधि से तैयार की गई लोहे की पटरियों में घनत्‍व अधिक होता है. यही वजह है कि ये काफी मजबूत होती हैं. लंबे समय तक इन पटरियों को बदलने की आवश्‍यकता नहीं पड़ती. वहीं, अगर पटरियों के निर्माण्‍ सिर्फ लोहे का ही इस्‍तेमाल किया जाए तो जंग लगना संभव है और पटरियां जल्‍दी खराब हो जाएंगी.