यूपी में लागू होगा नीदरलैंड का मॉडल, स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में आएगी कमी!
Netherlands Early Warning System: नीदरलैंड ने स्कूल से बच्चों के ड्रॉप आउट में कमी लाने के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित की है. नीदरलैंड द्वारा तैयार किए गए इस सिस्टम के तहत, बच्चे को 40 दिनों तक स्कूल से अनुपस्थित रहने पर अधिकारियों द्वारा ट्रैक किया जाता है.
उत्तर प्रदेश के स्कूलों में लगातार बढ़ रही ड्रॉप आउट की समस्या का हल पाने के लिए यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 12 लोगों की टीम को नीदरलैंड भेजने का फैसला किया है. ये टीम वहां जाकर प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का अध्ययन करेगी, जिससे ड्रॉप आउट में कमी आ सकती है. सरकार ने बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के नेतृत्व में 12 सदस्यीय टीम को नीदरलैंड भेजने का फैसला किया है. सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस मॉडल से यूपी को स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को फिर से स्कूल भेजने में मदद मिल सकती है.
नीदरलैंड ने स्कूल से बच्चों के ड्रॉप आउट में कमी लाने के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित की है. नीदरलैंड द्वारा तैयार किए गए इस सिस्टम के तहत, बच्चे को 40 दिनों तक स्कूल से अनुपस्थित रहने पर अधिकारियों द्वारा ट्रैक किया जाता है.
इसके बाद बच्चे के माता-पिता से बातचीत की जाती है और ये सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चा दोबारा स्कूल जाना शुरू कर दे. इसी तरह का मॉडल जल्द ही यूपी के स्कूलों में भी लागू किया जा सकता है ताकि स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या को कम किया जा सके.
जागरूकता अभियान चलाने की योजना
यूपी के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता को प्रोत्साहित करने के लिए भी जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई जा रही है. ये योजना नीदरलैंड्स मॉडल के साथ-साथ लागू किया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक, 2023 के आखिर तक इसे लागू किया जा सकता है.
यूपी के शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 2020-21 में ड्रॉप आउट होने वाले बच्चों की संख्या लगभग 4.81 लाख थी. वहीं, 2021-22 में यह आंकड़ा 4 लाख और 2022-23 में 3.30 लाख से ज्यादा रही. नीदरलैंड की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के आधार पर स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश की जाएगी.
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