देहरादून: भारतीय जनता पार्टी (BJP) दो तिहाई बहुमत के साथ उत्तराखंड में सत्ता में वापसी कर एक नया इतिहास रच दिया, लेकिन पार्टी को बड़ा झटका लगा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) खटीमा विधान सभा सीट से चुनाव हार गए. इसके बाद से मुख्यमंत्री पद को लेकर संकट खड़ा हो गया है, लेकिन इस बीच चंपावत सीट से बीजेपी के टिकट पर दूसरी बार जीते कैलाश गहतोड़ी (Kailash Gahtori) ने पुष्कर सिंह धामी को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की है.


पार्टी से की धामी को फिर सीएम बनाने की मांग


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कैलाश गहतोड़ी (Kailash Gahtori) ने पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) की तारीफ करते हुए कहा, 'यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं, लेकिन धामी के नेतृत्व में भाजपा ने लगातार दूसरी बार राज्य में अपनी सरकार बनाई है.' उन्होंने आगे कहा, 'मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने 6 महीने के दौरान प्रदेश में कई अहम कार्य किए जिसकी बदौलत राज्य में फिर से बीजेपी की सरकार बन रही है. मैं पार्टी से उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाने की मांग करता हूं. अगर वह सीएम बनते हैं तो उनके लिए मैं अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हूं.'


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बीजेपी ने 47 सीटों पर दर्ज की जीत


विधान सभा चुनाव के गुरुवार को घोषित परिणामों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 70 में से 47 सीटों पर विजय पताका फहराने के साथ ही भाजपा ने बहुमत के 36 के जादुई आंकड़े को आसानी से पार करते हुए सत्ता की दौड़ में फिर बाजी मार ली. साल 2000 में उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के बाद अस्तित्व में आए इस प्रदेश के चुनावी इतिहास में किसी भी पार्टी ने लगातार दो बार सरकार नहीं बनाई है और भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता में आती रही हैं. पिछले चुनाव में भाजपा ने 70 में से 57 पर जीत हासिल कर जबरदस्त जनादेश हासिल किया था.



तीरथ सिंह रावत की जगह सीएम बने थे धामी


भारतीय जनता पार्टी ने पिछले साल जुलाई में पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया था. धामी को तीरथ सिंह रावत की जगह राज्य की मान सौंपी गई थी. कुछ महीने पहले ही तीरथ सिंह रावत को त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह इस पद पर आसीन किया गया था.


भगत सिंह कोश्यारी के करीबी माने जाते हैं धामी


पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को अक्सर महाराष्ट्र के राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का करीबी माना जाता है. वह कोश्यारी के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) और सलाहकार रहे थे. उन्होंने 1990 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य के रूप में राजनीतिक करियर शुरू किया था. वह दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने स्थानीय युवाओं के लिए उद्योगों में नौकरियों के आरक्षण के लिए अभियान भी चलाया.


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