Uttarkashi Tunnel Red Zone: 17 दिन की कड़ी मेहनत के बाद उत्तरकाशी के टनल (Tunnel) में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया. खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने उनका स्वागत किया. पूरे देश में इसकी खुशी मनाई गई. हॉस्पिटल में मेडिकल चेकअप के बाद मजदूरों को उनके घरों के लिए रवाना भी कर दिया गया है. इस बीच, सवाल पूछे जा रहे हैं कि जब ऐसे टनलों का निर्माण होता है तो सुरक्षा के क्या उपाय किए जाते हैं. अब ये भी बात सामने आई है कि उत्तरकाशी का ये टनल पिछले 5 साल में लगभग 20 बार अलग-अलग जगह कोलैप्स हो चुका था. आइए जानते हैं कि ये पूरा माजरा क्या है?


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माइनर से मीडियम लेवल तक के 19-20 कोलैप्स हुए


टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, साढ़े 4 किलोमीटर लंबे टनल में पिछले 5 साल में कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं. NHIDCL के डायरेक्टर (एडमिन और फाइनेंस) अंशू मनीष खाल्को ने कहा कि कंस्ट्रक्शन के दौरान माइनर से मीडियम लेवल तक के कोलैप्स 19-20 बार हो चुके हैं. ये कोलैप्स नॉर्मल हैं. जब भी कोई टनल बनता है तो ऐसी घटनाएं होती ही हैं. हां ये कह सकते हैं कि मजदूर अनलकी थे जो उसमें फंस गए.


टनल में था रेड जोन


अंशू मनीष खाल्को ने आगे कहा कि सिलक्यारा और बड़कोट दोनों तरफ टनल में कोलैप्स की घटनाएं पहले भी हुई थीं. सिलक्यारा के मुकाबले बड़कोट की तरफ ये ज्यादा हुआ था. टनल में 160 से 260 मीटर तक के एरिया के रेड जोन की पहचान भी की गई थी. उस जगह पर ज्यादा सतर्कता बरती जाती थी.


400 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद निकले मजदूर


हालांकि, राहत की बात है कि 400 घंटे की कड़ी जंग के बाद आखिरकार सिलक्यारा टनल में फंसी 41 जिंदगियां सुरक्षित बाहर आ ही गईं. मजदूरों के बाहर आते ही रेस्क्यू में लगी टीम ने भारत माता की जय के नारे लगाने शुरू कर दिए. एक-एक कर मजदूर टनल के पाइप से बाहर आते रहे और सीएम धामी खुशी से उन्हें माला पहनाते गए. 17 दिन बाद उस टनल से बाहर आने की खुशी मजदूरों के चेहरे पर साफ दिखाई दी थी.


टनल से निकले मजदूरों के लिए मदद का ऐलान


गौरतलब है कि उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल से बाहर आए मजदूरों के लिए मदद का भी ऐलान कर दिया गया है. सीएम धामी ने कहा कि सभी मजदूरों को 1-1 लाख रुपये की मदद दी जाएगी. सीएम धामी ने मजदूरों को 1-1 लाख रुपये मदद देने का वादा किया. साथ ही उन्होंने कहा कि कंपनी से भी मजदूरों को वेतन के साथ 10 से 15 दिनों की छुट्टी भी दी जाए.