नई दिल्‍ली : अंतरिक्ष में भारत आज यानी 2 सितंबर को एक और लंबी छलांग लगाने जा रहा है. 22 जुलाई को लॉन्‍च हुए चंद्रयान-2 मिशन (Chandrayaan 2) के तहत चांद की कक्षा में चक्‍कर लगा रहे ऑर्बिटर से आज दोपहर को विक्रम लैंडर अलग होगा. यह चांद की कक्षा के दो चक्‍कर लगाएगा. इसी दौरान इसे चांद के दक्षिणी ध्रव पर उतरने के लिए तैयार किया जाएगा. यह 7 सितंबर को चांद पर उतरकर इतिहास रचेगा. विक्रम लैंडर में अत्‍याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं, जो कि चांद पर कई सारे अहम शोध करेंगे. विक्रम के साथ ही चांद की सतह पर प्रज्ञान नामक रोबोटिक यान भी उतरेगा.


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3.8 टन वजनी है चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 का कुल वजन 3.8 टन (3,850 किलोग्राम) है. इस चंद्रयान-2 त‍हत एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर भी चांद पर जा रहे हैं. इनका नाम चंद्रयान-2 ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर है. चंद्रयान-2 को इसरो ने 22 जुलाई को लॉन्‍च किया था. आज यानी 2 सितंबर को ऑर्बिटर से अलग होकर लैंडर विक्रम चांद की सतह के लिए रवाना होगा. लेकिन चांद की सतह पर लैंडर विक्रम 7 सितंबर, 2019 को लैंड करेगा.


चांद पर 2 बड़े गड्ढों के बीच उतरेगा विक्रम
चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद की सतह पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान उतरेंगे. लैंडर विक्रम का वजन 1,471 किलोग्राम है. इसका नामकरण भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर हुआ है. इसे 650 वॉट की ऊर्जा से ताकत मिलेगी. यह 2.54*2*1.2 मीटर लंबा है. चांद पर उतरने के दौरान यह चांद के 1 दिन लगातार काम करेगा. चांद का 1 दिन पृथ्‍वी के 14 दिनों के बराबर होता है. यह चांद के दो बड़े गड्ढों मैजिनस सी और सिंपेलियस एन के बीच उतरेगा.


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विक्रम के पास रहेंगे 4 इंस्‍ट्रूमेंट :
लैंडर विक्रम के साथ तीन अहम इंस्‍ट्रूमेंट चांद पर शोध के लिए भेजे जाएंगे. चांद पर होने वाली भूकंपीय गतिविधियों को मापने और उसपर शोध करने के लिए एक खास इंस्‍ट्रूमेंट लगाया गया है. इसके अलावा इसमें चांद पर बदलने वाले तापमान की बारीक जांच करने के लिए भी खास उपकरण है. इसमें तीसरा उपकरण है लैंगमूर प्रोब. यह चांद के वातावरण की ऊपरी परत और चांद की सतह पर शोध करेगा. विक्रम अपने चौथे उपकरण लेजर रेट्रोरिफ्लेक्‍टर के जरिये वहां मैपिंग और दूरी संबंधी शोध करेगा.


7 सितंबर को चांद पर उतरेगा लैंडर विक्रम. फाइल फोटो

6 टायरों वाला प्रज्ञान रोवर भी है खास
चंद्रयान-2 के तहत चांद पर उतरने वाले लैंडर विक्रम के साथ ही वहां प्रज्ञान रोवर भी उतरेगा. प्रज्ञान रोवर एक तरह का रोबोटिक यान है. जो चांद की सतह पर चलकर वहां शोध करेगा. इसका वजन 27 किलोग्राम है. यह 0.9*0.75*0.85 मीटर बड़ा है. इसमें छह टायर लगे हैं जो चांद की उबड़खाबड़ सतह पर आराम से चलकर विभिन्‍न शोध कर सकेंगे. यह चांद की सतह पर 500 मीटर तक 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड कर रफ्तार से सफर कर सकता है. यह अपनी ऊर्जा सूर्य से प्राप्‍त करेगा. साथ ही यह लैंडर विक्रम से संपर्क में रहेगा.


2 विशेष उपकरण हैं प्रज्ञान के पास
रोबोटिक शोध यान (रोवर) प्रज्ञान के पास दो विशेष उपकरण रहेंगे. रोवर प्रज्ञान अल्‍फा पार्टिकल एक्‍स-रे स्‍पेक्‍टोमीटर के जरिये लैंडिंग साइट के पास में चांद की सतह पर मौजूद वातावरणीय तत्‍वों के निर्माण संबंधी जानकारी प्राप्‍त करने के लिए शोध करेगा. इसके अलावा लेजर इंड्यूस्‍ड ब्रेकडाउन स्‍पेक्‍ट्रोस्‍कोप के जरिये भी प्रज्ञान सतह पर मौजूद तत्‍वों पर शोध करेगा.


कुछ ऐसा है चंद्रयान-2 ऑर्बिटर
चंद्रयान-2 ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम है. यह 3.2*5.8*2.1 मीटर बड़ा है. इसकी मिशन लाइफ 1 साल की है. पूरे चंद्रयान-2 मिशन में यही ऑर्बिटर अहम भूमिका निभाएगा. इसी के जरिये चांद की सतह पर उतरने वाले विक्रम लैंडर और धरती पर मौजूद इसरो के वैज्ञानिकों के बीच संपर्क हो पाएगा. यह चांद की कक्षा पर मौजूद रहेगा. यह चांद की सतह पर मौजूद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से मिली जानकारियों को धरती पर वैज्ञानिकों के पास भेजेगा.


8 उपकरणों से शोध करेगा ऑर्बिटर


1. चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के पास चांद की कक्षा से चांद पर शोध करने के लिए 8 उपकरण हैं. इनमें चांद का डिजिटल मॉडल तैयार करने के लिए टेरेन मैपिंग कैमरा-2 है. 


2. चांद की सतह पर मौजूद तत्‍वों की जांच के लिए इसमें चंद्रययान-2 लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्‍स-रे स्‍पेक्‍ट्रोमीटर (क्‍लास) है.


3. क्‍लास को सोलर एक्‍स-रे स्‍पेक्‍ट्रम इनपुट मुहैया कराने के लिए सोलर एक्‍स-रे मॉनीटर है.


4. चांद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाने और वहां मौजूद मिनरल्‍स पर शोध के लिए इसमें इमेजिंग आईआर स्‍पेक्‍ट्रोमीटर है.



5. चांद के ध्रुवों की मैपिंग करने और सतह व सतह के नीचे जमी बर्फ का पता लगाने के लिए इसमें डुअल फ्रीक्‍वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार है.


6. चांद की ऊपरी सतह पर शोध के लिए इसमें चंद्र एटमॉसफेयरिक कंपोजिशन एक्‍सप्‍लोरर-2 है.


7. ऑर्बिटर हाई रेजॉल्‍यूशन कैमरा के जरिये यह हाई रेस्‍टोपोग्राफी मैपिंग की जाएगी.


8. चांद के वातावरण की निचली परत की जांच करने के लिए डुअल फ्रीक्‍वेंसी रेडियो उपकरण है.


बेहद खास है मिशन चंद्रयान-2 : 


1. पहला अंतरिक्ष मिशन जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर सफलतापूर्वक लैंडिंग का संचालन करेगा.


2. पहला भारतीय अभियान, जो स्वदेशी तकनीक से चंद्रमा की सतह पर उतारा जाएगा.


3. पहला भारतीय अभियान जो देश में विकसित प्रौद्योगिकी के साथ चांद की सतह के बारे में जानकारियां जुटाएगा


4. चंद्रमा की सतह पर शोध यान उतारने वाला चौथा देश होगा भारत.