Waqf Aamendment Bill Controversy: वक्फ कानून में संशोधन की चर्चा के साथ ही इस पर धमकियों और बयानबाजी का दौर तेज हो गया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने मुसलमानों से वक्फ बिल के खिलाफ आंदोलन करने का आह्वान किया है. मौलाना ने मुसलमानों से जेल भरने और यहां तक कि अपनी जान देने तक के लिए कह दिया है. उनके इस बयान पर कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या इस मुद्दे पर मुस्लिम समाज को भड़काने का प्रयास किया जा रहा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पहले से ही वक्फ बोर्ड की मनमानी से परेशान लोग अब नए वक्फ संशोधन बिल के इंतजार में हैं, जिसमें इस तरह के दखल पर लगाम लगाने का प्रस्ताव है. लेकिन मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी जैसे मुस्लिम धर्मगुरु, जो वक्फ के कब्जों पर अक्सर चुप रहते थे, अब इस कानून में बदलाव के खिलाफ खुलकर आवाज उठा रहे हैं. मौलाना रहमानी ने तो मुसलमानों को जेलों को भरने तक का आह्वान कर दिया है और इस कानून को मुसलमानों के लिए 'जिंदगी और मौत का मसला' बता दिया है.


मौलाना रहमानी ने सार्वजनिक मंच से मुसलमानों को उकसाते हुए वक्फ बिल को मस्जिदों, दरगाहों, मदरसों और कब्रिस्तानों के लिए खतरा बताया. उन्होंने कहा कि यह बिल पास हुआ तो इन धार्मिक स्थलों पर भी खतरा मंडराने लगेगा. उनके बयान में जेल भरने और यहां तक कि अपनी जान देने की बात ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अब इस मुद्दे पर हिंसा की आशंका को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.


मौलाना रहमानी का कहना है कि मुसलमानों को कानून के दायरे में रहकर जेल भरनी चाहिए. इसी के साथ उन्होंने मुसलमानों को मरने-मारने का संदर्भ देते हुए इसे 'जिंदगी और मौत का मुद्दा' बताया. उनका यह बयान मुस्लिम समाज में तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म दे रहा है. कई मुस्लिम नेताओं और धर्मगुरुओं ने उनके इस बयान की आलोचना की है और इसे भड़काऊ करार दिया है.


इस बयानबाजी के बीच अन्य मौलाना भी इस मामले में सामने आ रहे हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-जमात के अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन बरेलवी ने कहा कि मौलाना रहमानी जैसे लोग मुस्लिम समाज को भड़काने का काम कर रहे हैं. उन्होंने मुसलमानों से अपील की है कि वे अपने देश के संविधान पर भरोसा रखें और भड़काऊ बयानों से प्रभावित न हों.


वक्फ बिल को लेकर विवाद और धमकियों का दौर पिछले कुछ समय से जारी है. एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी मुसलमानों से डरने या झुकने से मना करते हुए, उन्हें इस मुद्दे पर संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया था. इसी तरह कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने भी वक्फ बिल के खिलाफ चेतावनी दी थी और इसे सिविल वॉर का खतरा बताया था.


जैसे-जैसे वक्फ कानून पर चर्चा आगे बढ़ेगी, ऐसे बयानों का असर समाज पर कैसा होगा यह देखना दिलचस्प रहेगा. सवाल यह है कि क्या इस मुद्दे को लेकर जारी धमकियां एक रणनीति हैं या समाज को अस्थिर करने की कोशिश.