नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की ममता सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने जा रही है। उससे पहले नेताजी की ताइवान में 1945 प्लेन क्रैश में हुई मौत का विवाद एक बार फिर सुलग गया है।


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अंग्रेजी न्यूज पेपर द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकन और ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों का कहना है कि 1948-49 के दौरान नेताजी जिंदा थे। उस दौरान वे दक्षिण एशिया में कम्युनिस्ट आंदोलनों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।


रिपोर्ट के अनुसार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग के आह्यू हियन कुआन ने नेताजी के भतीजे अमिय नाथ बोस को एक पत्र लिखा था। उन्होंने 1948 में अमिय नाथ बोस को भी यही जानकारी दी थी। जिसमें लिखा था कि 'मुझे खेद है कि मैं नेताजी के बारे में वह न्यूज नहीं ढूंढ़ पाया जो चीनी अखबार कुछ समय पहले छपा था। लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि वो अभी भी जिन्दा हैं।'


नेताजी पर इन फाइलों की संख्या करीब 64 है। ये फाइलें हैं 1937 से 1947 के बीच की हैं, जिनका खुलासा पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से शुक्रवार को किया जाएगा। इनमें से कई फाइलें 300 पेज की है और उस पर हस्तलिखित नोट हैं। इनमें से अधिकांश फाइलें नेताजी और उनके बड़े भाई शरत चंद्र बोस के बीच हुए व्यक्तिगत पत्र व्यवहार की हैं।


इस साल फरवरी में नरेंद्र मोदी सरकार ने एक आरटीआई के जवाब में कहा था कि नेताजी की 70 पहले हुई मौत से जुड़े रिकॉर्ड को प्रकाशित नहीं किया जा सकता है।