Raja Raja Chola was a Hindu king or not: करीब 1000 साल पहले तमिलनाडु समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों पर राज कर चुके चोल वंश के शासक राजाराज चोल (Raja Raja Chola) को लेकर एक बार विवाद छिड़ गया है. राजाराज चोल की चर्चा हाल ही में रिलीज हुई फिल्म पोन्नियन सेल्वन (Ponniyin Selvan II) यानी PS-2 के बाद तेज हुई है. जिसके निर्माता और अभिनेता राजाराज चोल को हिंदू शासक नहीं मानते हैं. इस विवाद की शुरुआत तब हुई थी जब मणिरत्नम की फिल्म पोन्नियन सेलवन-1 रिलीज हुई थी, तब से लेकर अब तक ये मामला ठंडा नहीं पड़ा है. 


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सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस


देश में जब भी इतिहास पर आधारित फिल्म बनाई जाती है तो उसमें रचनात्मक स्वतंत्रता के नाम पर हुई  रिसर्च और प्रयोगों की जमकर चर्चा होती है. फिल्म पोन्नियन सेल्वन के जरिए चोल वंश के साम्राट राजराज चोल के बारे में कई नई जानकारियां सामने आई हैं, जिन पर बहस का नया दौर शुरू हो गया है. दरअसल माना जाता है कि अगर फिल्म के किसी सीन या संवाद पर विवाद होगा तो निगेटिव पब्लिसिटी का आखिरी फायदा फिल्म मेकर्स को ही मिलता है. ऐसी बातों और कयासों के बीच इतिहास के पन्नों में दर्ज एक और महान शासक के धर्म और पहचान को लेकर फिर से तीखी टिप्पणियों का दौर चल रहा है.


वेटरीमारन ने फिल्म में क्या दिखाया?


आपको बताते चलें कि कुछ समय पहले राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित तमिल निर्देशक वेटरीमारन (Vetrimaaran) ने कहा था कि राजाराज चोल हिंदू राजा नहीं थे. हिंदी और दक्षिण की फिल्मों के मशहूर एक्टर कमल हासन ने भी वेटरीमारन की बात का समर्थन किया है. वेटरीमारन ने कहा कि लगातार तमिल प्रतीक उनसे छीने जा रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि तमिल प्रतीकों का भगवाकरण हो रहा है. जिसके बाद सोशल मीडिया पर बहस इतनी खिंच गई कि लोग Raja raja chola religion गूगल पर सर्च करने लगे. पोन्नियिन सेल्वन फिल्म में चोल साम्राज्य की नौसैनिक शक्ति और इसके साम्राज्य विस्तार को दिखाया गया है. फिल्म में चोल वंश के राजा पोन्नियन सेल्वन की जिंदगी को दिखाया गया है. इसी फिल्म में राजाराज चोल की चर्चा होती है. राजाराज चोल प्रथम इस साम्राज्य के सबसे प्रतापी राजाओं में से थे.


कहां और कब हुई चोल साम्राज्य की स्थापना?


चोल साम्राज्य का इतिहास 1000 साल से भी पुराना है. ये साम्राज्य दक्षिण में कावेरी नदी के तट पर पनपा और विकसित हुआ. तब तिरुचिरापल्ली इस साम्राज्य की राजधानी थी. दक्षिण भारत में भव्य और विशाल मंदिरों को निर्माण करने का श्रेय प्राप्त करने वाले चोल राजाओं को कमल हासन और वेटरीमारन आखिर हिन्दू क्यों नहीं मानते ये तो वही जाने लेकिन NCERT की किताबों में दर्ज जानकारी के मुताबिक कावेरी डेल्टा में मुट्टिरयार नाम से प्रसिद्ध एक छोटे से परिवार की सत्ता थी. ये परिवार कांचीपुरम के पल्लव राजाओं के अधीन था. इसी दौरान 849 ईस्वी में चोलवंश के सरदार विजयालय ने इन मुट्टिरयारों को हरा कर इस डेल्टा पर कब्जा जमाया और चोल वंश की स्थापना की. विजयालय ने तंजावूर शहर को बसाया था.


राजाराज चोल की गौरव गाथा


विजयालय के उत्तराधिकारी काफी योग्य निकले. उन्होंने पड़ोसी इलाकों को जीता और अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार किया. दक्षिण और उत्तर के पांड्यन और पल्लव इस राज्य का हिस्सा बन गए. आगे 985 ईस्वी में राजाराज चोल प्रथम इस साम्राज्य का शासक बने और चोल राजवंश की प्रतिष्ठा में चार चांद लगा दिए.