Toll Tax Importance: कहते हैं कि विकसित राष्ट्र की पहचान, वहां की सड़कें हैं. अच्छी सड़कें, मतलब समृद्ध देश. लेकिन सड़कों को लेकर इन दिनों, कुछ डिजायनर पत्रकार, भ्रम फैलाने में जुटे हुए हैं. उनके टारगेट पर है टोल टैक्स. ये बुद्धिजीवी टोल टैक्स को जनता की मजबूरी बता रहे हैं. लेकिन 'टोल टैक्स मजबूरी नहीं, जरूरी है'. और टोल टैक्स क्यों जरूरी है, इस पर जी न्यूज एक खास मुहिम चला रहा है.


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किसी खास सड़क पर चलने वाले यात्री को, अच्छी सड़क उपलब्ध करवाने के लिए, वसूला गया 'कर' ही टोल टैक्स है. हमें अच्छी और गड्ढामुक्त सड़कें तो चाहिए, लेकिन जेब से टोल टैक्स देना किसी को भी पसंद नहीं है. सोचिए कि अगर टोल टैक्स यकायक एक दिन खत्म हो गया तो क्या होगा?


टोल टैक्स से समय और फ्यूल की बचत


हम आपको ये क्रिएटिव्स दिखा रहे हैं. पहला सीन टोल टैक्स वाले हाईवेज़ का है. इस पर आप फर्राटे के साथ चलते हैं. अच्छी और गड्ढामुक्त सड़कें देखकर खुश होते हैं. आपका समय भी बचता है, फ्यूल की बचत भी होती है.


अब सोचिए कि टोल टैक्स हट गया. अब क्या होगा. सड़क का रखरखाव नहीं होगा. सड़क पर गड्ढे बढ़ेंगे. गड्ढा मुक्त सड़क, गड्ढा युक्त सड़क बन जाएगी. गड्ढों की वजह से आपके वाहन की रफ्तार पर भी ब्रेक लगेगा. ईंधन भी ज्यादा खर्च होगा. हां ये जरूर है कि टोल टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन उससे ज्यादा पैसा तो आपके फ्यूल और गाड़ी के मेटनेंस में खर्च हो जाएगा. समय की बर्बादी अलग.


जो बुद्धिजीवी, टोल टैक्स को गुलामी का प्रतीक कहते हैं. ये वही लोग है, जो कुछ मिनटों में मंजिल तक पहुंचने का दम भरते हैं. क्या मंजिल तक कम समय में पहुंचने का उनका आत्मविश्वास, टोल रोड की वजह से नहीं है?


सारे टोल टैक्स अचानक बंद हो गए तो क्या होगा?


सच्चाई ये है कि आम जनता, अपने क्षेत्र में टोल रोड जैसी सुविधाजनक सड़कें चाहती है. अच्छी सड़कों की जरूरत, उन लोगों से पूछिए, जो आज भी पता कर रहे हैं कि सड़क में गड्ढा है, या गड्ढे में सड़क है. फिर भी हम मान लेते हैं कि अचानक एक दिन फैसला ले लिया गया, कि देश के सारे टोल बंद कर दिए जाएंगे. तब क्या होगा ये हम बताते हैं.


टोल बंद हुए तो देश की अर्थव्यवस्था को करीब 70 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा. National Highway Authority Of india दिवालिया हो जाएगी, क्योंकि उसने हाई वे बनाने के लिए करीब साढ़े 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया है. NHAI दिवालिया हुआ तो नए हाई वे बनने बंद हो जाएंगे. पुराने हाई वे का रखरखाव बंद हो जाएगा. 


सड़कों का रखरखाव बंद हुआ तो समय और ईंधन की बर्बादी शुरू हो जाएगी. हाइवे पर मिलने वाली सुविधाएं जैसे इमरजेंसी सेवाएं, तकनीकी मदद, वॉशरूम वगैरह बंद हो जाएंगे. सड़क खराब होने से आयात-निर्यात का खर्च बढ़ जाएगा है, जिससे चीजों की महंगाई बढ़ेगी.


घंटों की दूरी सिमट गई मिनटों में


टोल रोड के होने से सबसे ज्यादा बचत समय की होती है. टोल टैक्स जरूर लगता है, लेकिन समय काफी बचता है. वैसे तो दूरी को मीटर या किलोमीटर से मापा जाता है. लेकिन आजकल दूरी को मिनट और घंटों से मापा जाने लगा है.ये टोल रोड़ की वजह से ही मुमकिन हो पाया है.


दिल्ली से मेरठ जाने के लिए पहले 3 घंटे का समय लगता था. लेकिन DME यानी दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे बनने से अब केवल 30 से 45 मिनट लगते हैं. दूरी लगभग उतनी ही है, लेकिन समय काफी बच गया. दिल्ली से लखनऊ करीब 500 से 550 किलोमीटर है, इसे तय करने में पहले 10 से 12 घंटे लगते थे. लेकिन टोल रोड की वजह से अब केवल 6-7 घंटे में आप दिल्ली लखनऊ पहुंच सकते हैं.


टोल रोड की वजह से ही ये मुमकिन हो पाया है कि अब आप दूरी को मीटर-किलोमीटर में नहीं, बल्कि आप समय से मापने लगे हैं. वजह यही है कि समय कम लगता है. टोल टैक्स का पैसा, हाई वे बनाने और क्वालिटी मेनटेन करने वाली कंपनी और NHAI के पास जाता है. अब सवाल ये है कि टोल टैक्स का पैसा कहां खर्च होता है?


सुविधाओं के हिसाब से तय होते हैं टोल रेट


टोल टैक्स वो पैसा है जिसकी वजह से आपको साल के 365 जिन गड्ढामुक्त सड़कों का मज़ा मिलता है. इसी पैसे का इस्तेमाल हाई वे के रखरखाव में किया जाता है. टोल रोड के साथ-सुथरे साइन बोर्ड, सीसीटीवी और सोलर पैनल वाली लाइट्स भी इसी की देन है. सड़क के बीच कोई जानवर ना आ जाए, इसके लिए बैरिकेडिंग भी इसी की देन है. टोल रोड पर पेट्रोलिंग और मैकेनिक की सुविधा भी इस टैक्स के पैसे से मिलती है. टोल टैक्स का पैसा आपको मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए खर्च होता है.


कई बार ऐसा महसूस होता है कि टोल टैक्स अधिक है. लेकिन ऐसा नहीं है. जिस हाई वे पर टोल होता है, वहां पर मिलने वाली सुविधाओं के हिसाब से ही टोल के रेट तय किए जाते हैं. हमने टोल टैक्स पर एक्सपर्ट्स से भी बात की है.


टोल टैक्स के बंद होने से सड़क का खर्च सरकार को अपने बजट से देना होगा. बजट का ये खर्च आपके दिए डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स से जाएगा. मुमकिन है कि टैक्स बढ़ा दिए जाएं. वैसे एक बात सोचने वाली है कि देश के किसी एक राज्य के हाइवे के रखरखाव का खर्च, दूसरे राज्य के लोग क्यों उठाए? क्या ये खर्च उस हाइवे का इस्तेमाल करने वाले राहगीरों को नहीं उठाना चाहिए?