Kamlesh Paswan: प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की सरकार में पहली बार राज्य मंत्री पद की शपथ लेने वाले गोरखपुर जिले के बांसगांव संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर चौथी बार सांसद चुने गये कमलेश पासवान को राजनीति विरासत में मिली है. अनुसूचित जाति (‍दलित) वर्ग के पासी समाज से आने वाले 47 वर्षीय कमलेश पासवान वर्ष 2002 में सबसे पहले गोरखपुर जिले के मानीराम (परिसीमन के बाद नाम बदला) क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्‍य चुने गये.


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2024 के चुनावों में चौथी बार सांसद बने


इसके बाद वह 2009 में 15वीं लोकसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर बांसगांव क्षेत्र से सदस्‍य चुने गये. पासवान ने 2014 और 2019 में इसी संसदीय क्षेत्र से अपनी जीत की 'हैट्रिक' बनाई और 2024 के चुनावों में वह चौथी बार सांसद बनने में कामयाब हुए. हालांकि, इस बार उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के सदल प्रसाद ने आखिरी समय तक बहुत मजबूत मुकाबला किया और पासवान को केवल तीन हजार से अधिक मतों से ही जीत मिली. 


बाहुबली ओमप्रकाश पासवान की हत्‍या


गोरखपुर जिले के एक महाविद्यालय से स्‍नातक कमलेश पासवान जब पढ़ाई कर रहे थे, तभी उनके पिता और मानीराम क्षेत्र से (1989,1991 और 1993) तीन बार विधायक रहे ओमप्रकाश पासवान समेत उनके आधा दर्जन से अधिक समर्थकों की 25 मार्च, 1996 को बांसगांव में एक चुनावी सभा में बम हमले में हत्‍या कर दी गयी. बाहुबली ओमप्रकाश पासवान की हत्‍या वर्चस्‍व की लड़ाई में उनके प्रतिद्वंद्वियों ने की थी. तब कमलेश पासवान की उम्र चुनाव लड़ने योग्‍य नहीं थी. 


विरासत में मिली राजनीति


ओमप्रकाश पासवान की हत्‍या के बाद मानीराम से उनके भाई चंद्रेश पासवान विधानसभा सदस्‍य निर्वाचित हुए जबकि उनकी पत्‍नी सुभावती पासवान 1996 में बांसगांव संसदीय क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद चुनी गयीं. कमलेश पासवान के छोटे भाई विमलेश पासवान दो बार (2017 और 2022) से बांसगांव विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक निर्वाचित हो रहे हैं.


(एजेंसी इनपुट के साथ)