Who was Yakub Memon: मुंबई में 1993 में हुए धमाकों के दोषी याकूब मेमन की कब्र के रखरखाव कार्य को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया है. ये विवाद याकूब मेमन को उसके जन्मदिन पर फांसी दिए जाने के सात साल बाद गुरुवार को दक्षिण मुंबई के बड़ा कब्रिस्तान में उसकी कब्र के कथित 'सौंदर्यीकरण' को लेकर छिड़ा है. मेमन (53) को 12 मार्च, 1993 के मुंबई विस्फोटों में उसकी भूमिका के लिए दोषी पाया गया था और 30 जुलाई, 2015 को नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी. दक्षिण मुंबई के बड़ा कब्रिस्तान में उसे दफनाया गया था. 


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एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) स्तर का एक पुलिस अधिकारी जांच करेगा कि कैसे एक आतंकवादी की कब्र पर ‘एलईडी लाइट’ लगा दी गई और संगमरमर की ‘टाइलें’ लगाकर उसे संवारा गया. महाराष्ट्र में बीजेपी के कुछ नेताओं ने दावा किया कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब कब्र को मकबरे में तब्दील कर दिया गया था. वहीं, ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने कहा कि पूरा मुद्दा बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी जैसे अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने का एक प्रयास है.


कौन था याकूब मेमन? 


याकूब मेमन 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले में मौत की सजा पाने वाला आतंकी था. वह अब्दुल रज्जाक मेमन के छह बेटों में से तीसरे था और अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा था. याकूब अंग्रेजी माध्यम के स्कूल से पास हुआ और उसने उच्च शिक्षा के लिए बी.कॉम की डिग्री हासिल की.


बाद में वह 1990 में चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बन गया. 1991 में याकूब ने अपने बचपन के दोस्त चेतन मेहता के साथ 'मेहता एंड मेमन एसोसिएट्स' की स्थापना की. न्यूज एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, दोस्तों के अलग होने के एक साल बाद, याकूब ने अपनी स्वतंत्र फर्म 'एआर एंड संस' खोली.अपनी फर्म की सफलता के कारण याकूब को मुंबई में मेमन समुदाय द्वारा सर्वश्रेष्ठ सीए पुरस्कार से सम्मानित किया गया.


जल्द ही उसने अपनी कंपनी तेजरथ इंटरनेशनल शुरू की, जो खाड़ी और पश्चिम एशिया में मांस और मांस उत्पादों के निर्यात में शामिल थी. एक उद्यमी के रूप में अपनी सफलता के बाद, उसने माहिम दरगाह के पास माहिम में अल-हुसैनी बिल्डिंग में छह फ्लैटों में निवेश किया. 


मुंबई हमले में उसका क्या रोल था? 


1993 के मार्च में बॉम्बे 13 विस्फोटों से हिल गया था, जिसमें 257 लोगों की जान गई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे. बम धमाकों के मुख्य साजिशकर्ता माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम कास्कर और उसके करीबी सहयोगी और याकूब के भाई इब्राहिम 'टाइगर' मेमन थे.


अगस्त 1994 में याकूब को तीन महिलाओं सहित उसके परिवार के छह सदस्यों के साथ नई दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था. टाइगर और उसका दूसरा भाई अयूब कथित तौर पर पाकिस्तान में रहा. याकूब पर हमले में सहायता करने, उकसाने का आरोप लगाया गया था. उसे एक सह-आरोपी मूलचंद शाह और उनकी फर्मों के माध्यम से ऑपरेशन के वित्तपोषण, दुबई और फिर पाकिस्तान के लिए छह अन्य आरोपियों के लिए फ्लाइट टिकट की व्यवस्था करने का भी दोषी पाया गया था. उसके अन्य आरोपों में आपराधिक साजिश, विस्फोटों में इस्तेमाल किए गए वाहन खरीदना, विस्फोटक रखना और अवैध हथियार और गोला-बारूद रखना शामिल है. टाडा कोर्ट ने उसे 27 जुलाई 2007 को मौत की सजा सुनाई थी. दया के लिए उसकी कई अपीलों के बावजूद, 1993 के हमले के 22 साल बाद याकूब को फांसी दी गई थी. 



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