नई दिल्ली: भाजपा (BJP) ने चुनाव जीतने वाले राज्यों में पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है. उत्तर प्रदेश की कमान जहां योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के हाथों में होगी. वहीं उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी पुराने मुख्यमंत्री ही सत्ता संभालेंगे. ऐसे यह सवाल लाजिमी है कि जब पुराने चेहरों पर ही मुहर लगानी थी तो BJP ने 11 दिन क्‍यों लिए?


मौर्य को भी मिल सकता है मौका


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माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को भी पार्टी एक और मौका दे सकती है. बीजेपी ने सोमवार को उत्तराखंड की कमान एक बार फिर से पुष्कर सिंह धामी को देने का फैसला लिया. वहीं, गोवा में भी प्रमोद सावंत ही अगले सीएम बनेंगे. उत्तराखंड और गोवा में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में यथास्थिति रखते हुए धामी और सावंत को नेता चुना गया. इससे पहले रविवार को एन. बीरेन सिंह ने मणिपुर के सीएम पद की शपथ ली थी.


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उत्तराखंड में हिमाचल से अलग रणनीति


उत्तराखंड में भाजपा ने जरूर जीत हासिल की है, लेकिन पुष्कर सिंह धामी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. धामी अपनी खटिमा सीट से हार गए थे. लिहाजा माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी और को सौंपी जा सकती है. हिमाचल प्रदेश में साल 2017 के चुनावों में BJP ने इससे ठीक उलट करके प्रेम कुमार धूमल को सरकार से बाहर रखा गया था, क्योंकि वो अपनी सीट हार गए थे. अब पुष्कर सिंह धामी को छह माह के अंदर किसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़वाकर सदन में भेजा जाएगा.


दिनेश शर्मा को लेकर संशय  


एक्सपर्ट्स मानते हैं कि उत्तराखंड में धामी को मुख्यमंत्री चुनने के फैसले से उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य की राह भी आसान हो सकती है. योगी सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी धामी की तरह हार गए थे. वहीं, योगी सरकार में दूसरे डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा का पद बना रहेगा या नहीं इस पर भी संशय है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि BJP का दलित चेहरा मानी जानी वालीं बेबी रानी मौर्य को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है.


अच्छे काम का मिला इनाम
जानकारों को लगता है कि गोवा और उत्तराखंड में परिवर्तन न करने की वजह ये भी है कि भाजपा दोनों राज्यों में पार्टी के अंदर स्थिरता बनाए रखना चाहती है. साथ ही पार्टी 2024 में होने वाले आम चुनावों पर भी नजर रखे हुए है. धामी और सावंत दोनों ने ही मुश्किल स्थितियों में अच्छा काम करके दिखाया है. बता दें कि धामी को त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के बाद चुनाव से कुछ ही समय पहले सीएम पद सौंपा गया था. इसी तरह, प्रमोद सावंत को मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद मुख्यमंत्री बनाया गया था.


गोवा में आंतरिक विरोध


गोवा की बात करें तो प्रमोद सावंत चुनाव तो जीत गए, लेकिन पार्टी में ही उन्हें विश्वजीत राणे के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी ने उत्तराखंड की 70 में 47, गोवा की 40 में से 20 सीटें जीती हैं. गोवा में पार्टी को सरकार बनाने के लिए दो निर्दलीय और दो महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के विधायकों का समर्थन मिला है. हालांकि, भाजपा के लिए चिंता की बात ये भी है कि विधान सभा चुनावों में जीत हासिल करने के बावजूद उसकी सीटें कुछ कम हुई हैं.