BrahMos Missile Features: भारतीय नौसेना की मुख्य ताकत क्यों बन गई ब्रह्मोस मिसाइल?
Indian Navy: भारतीय नौसेना ने पिछले कुछ समय में खुद को बहुत तेज़ी से आधुनिक बनाया है. ब्रह्मोस और बराक मिसाइलों ने नौसेना की ताकत को काफी बढ़ाया है.
BrahMos Missile Deal: भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने 19000 करोड़ रुपए में 200 ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम के सौदे को मंज़ूरी दे दी है. ये सभी मिसाइलें नौसेना के जंगी जहाजों में तैनात की जाएंगी. ये अब तक की सबसे लंबी रेंज की मिसाइलें होंगी. जनवरी में भारतीय नौसेना के एक जंगी जहाज ने इस रेंज की मिसाइल का सफल परीक्षण किया था.
सूत्रों के मुताबिक इस सौदे पर मार्च के पहले हफ्ते में हस्ताक्षर किए जाएंगे. सौदा रक्षा मंत्रालय और ब्रह्मोस एरोस्पेस के बीच होगा. ब्रह्मोस मिसाइलें भारतीय नौसेना के जंगी जहाजों का मुख्य हथियार बन गई हैं. ब्रह्मोस का इस्तेमाल दुश्मन के जहाजों या उसके जमीनी ठिकानों पर किया जा सकता है.
800 किलोमीटर से ज्यादा होगी मिसाइलों की रेंज
ब्रह्मोस मिसाइलों की शुरुआती रेंज 290 किमी थी जिसे बढ़ाकर 450 किमी किया गया था. लेकिन अब नए सौदे की मिसाइलों की रेंज 800 किमी से भी ज्यादा होगी. भारतीय नौसेना पहली बार इतनी लंबी रेंज वाली किसी मिसाइल से अपने जंगी जहाज़ों को लैस करेगी.
भारतीय नौसेना में सबसे नए जंगी जहाज़ आईएनएस इंफाल ने नौसेना में शामिल होने से पहले ही ब्रह्मोस मिसाइल की फायरिंग का सफल परीक्षण किया था.
खुद आधुनिक बना रही है भारतीय नौसेना
भारतीय नौसेना ने पिछले कुछ समय में खुद को बहुत तेज़ी से आधुनिक बनाया है. वायुसेना के डिस्ट्रॉयर और फ्रिगेट्स को हमला करने के सबसे ताकतवर हथियार ब्रह्मोस मिसाइल और किसी हवाई हमले से सुरक्षा के लिए सबसे भरोसेमंद मिसाइल बराक से लैस किया गया है.
नौसेना ने सबसे पहले ब्रह्मोस का इस्तेमाल शुरू किया था बाद में इसका इस्तेमाल सेना और वायुसेना ने भी शुरू कर दिया.
भारत को मिला रक्षा उत्पादों का पहला बड़ा निर्यात
भारत और रूस के सहयोग से बनी ब्रह्मोस साझेदारी में बनाया गया सबसे क़ामयाब हथियार बन गई है. ब्रह्मोस ने भारत को रक्षा उत्पादों का पहला बड़ा निर्यात भी दिलाया है. भारत ब्रह्मोस को फिलीपींस को निर्यात कर रहा है. कई दूसरे लेटिन अमेरिकी, अफ्रीकी और पूर्व एशियाई देशों ने ब्रह्मोस में दिलचस्पी दिखाई है.