अब `राम` के नाम से खफा हुए शिंदे.. विधान परिषद अध्यक्ष पद के चुनाव से भी बनाई दूरी!
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Eknath Shinde: असल में शिवसेना की उपाध्यक्ष नीलम गोरे को संभावित उम्मीदवार माना जा रहा था, लेकिन बीजेपी की रणनीति ने शिवसेना की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. वैसे भी राम शिंदे की उम्मीदवारी बीजेपी की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है.
Maharashtra Council Election: महाराष्ट्र की राजनीति में अब भी रोज नए-नए वाकये देखने को मिलते हैं. इसी कड़ी में एक बार फिर एकनाथ शिंदे नाराज बताए जा रहे हैं. हुआ यह कि बीजेपी के विधान परिषद सदस्य राम शिंदे ने राज्य विधान परिषद अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया. इस दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार उनके साथ मौजूद थे, लेकिन एकनाथ शिंदे की अनुपस्थिति ने सियासी गलियारों में चर्चाओं को हवा दे दी. शिवसेना इस पद पर अपनी दावेदारी जता रही थी, लेकिन शायद उनके हाथ मायूसी लगी है.
शिवसेना की उम्मीदों पर पानी?
असल में शिवसेना की उपाध्यक्ष नीलम गोरे को संभावित उम्मीदवार माना जा रहा था, लेकिन बीजेपी की रणनीति ने शिवसेना की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. वैसे भी राम शिंदे की उम्मीदवारी बीजेपी की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है. बीजेपी विधान परिषद में बहुमत रखती है. अब दोनों सदनों में अध्यक्ष पद पर अपनी पकड़ बना लेगी.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक राम शिंदे को इस पद के लिए धनगर समुदाय का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए चुना गया. राम शिंदे 2019 और 2024 के विधानसभा चुनावों में एनसीपी के रोहित पवार से हार गए थे, लेकिन उनकी एमएलसी के रूप में नियुक्ति ने उन्हें पार्टी के महत्वपूर्ण नेताओं में बनाए रखा. इससे बीजेपी ने यह संदेश दिया है कि वह क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन साधने में सक्षम है.
क्या शिवसेना की बढ़ेंगी चुनौतियां
फिलहाल शिवसेना के लिए यह एक चुनौती से कम नहीं है. 2022 और 2023 में शिवसेना और एनसीपी के विभाजन के कारण विधान परिषद अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो पाया था. शिवसेना इस पद के लिए इच्छुक थी, लेकिन बीजेपी की मजबूती ने उसकी संभावनाओं को कमजोर कर दिया. शिवसेना के नेताओं के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी की वर्तमान रणनीति पर्याप्त है, या उसे अपनी प्राथमिकताएं दोबारा तय करनी होंगी.
निर्विरोध चुनाव..
उधर राम शिंदे ने अपने बयान में कहा कि कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार खड़ा न करने का फैसला लिया है, जिससे यह चुनाव निर्विरोध होगा. फिलहाल उन्होंने इसे सकारात्मक संदेश करार दिया. वहीं बीजेपी ने इस कदम से यह दिखाने की कोशिश की है कि वह विपक्ष के साथ बेहतर तालमेल बिठाने में सक्षम है. शिंदे के नामांकन के समय पार्टी के वरिष्ठ नेता चंद्रकांत पाटिल, उदय सामंत और जयकुमार रावल भी उपस्थित रहे.