DNA with Sudhir Chaudhary: कांग्रेस पार्टी ने अपने एक ट्वीट में राहुल गांधी को महात्मा गांधी का वंशज बताया है. इस ट्वीट में कांग्रेस ने लिखा है, 'तानाशाह कान खोल कर सुन लें, ये गांधी का वंशज है, इसे तुम रोक नहीं पाओगे, राहुल से तुम जीत नहीं पाओगे.' यानी कांग्रेस राहुल गांधी को महात्मा गांधी का वंशज बता रही है. इसे लेकर हमारे देश में हमेशा से एक Confusion रही है. इसलिए हम आपको दो गांधी परिवारों की कहानी बताएंगे. इनमें एक थे, महात्मा गांधी जिन्होंने अपने जीवन में कभी कोई सरकारी पद नहीं लिया. आजादी के बाद भी कभी पद और परिवार की राजनीति नहीं की. लेकिन जो गांधी परिवार आज Lutyens Delhi में रहता है, वो पिछले 75 वर्षों से हमारे देश में परिवारवाद की राजनीति करता आ रहा है. उसके लिए पद ही सबकुछ है.


नाम घांडी से गांधी कर लिया


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असल में गांधी परिवार का महात्मा गांधी से कोई लेना देना है ही नहीं. राहुल गांधी ना तो महात्मा गांधी के वंशज हैं और ना ही उनकी विरासत का हिस्सा हैं. राहुल गांधी को ये Surname, अपने दादा फिरोज गांधी से मिला था, जो इंदिरा गांधी के पति थे. फिरोज गांधी के पिता का नाम था, जहांगीर फरदून घांडी. अंग्रेंजी में वो Ghandy लिखते थे. यानी उनका नाम गांधी नहीं घांडी था. फिरोज गांधी के पिता मुम्बई के रहने वाले थे और वो पारसी धर्म को मानते थे. 12 सितम्बर 1912 को जब फिरोज गांधी का जन्म हुआ, तब उनके जन्म प्रमाणपत्र में गांधी नहीं बल्कि घांडी ही लिखा था, जो उनके पिता का उपनाम था. क्योंकि उस समय देशभर में आजादी का आन्दोलन चल रहा था और फिरोज गांधी, महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे इसलिए उन्होंने अपने नाम को घांडी से गांधी कर लिया.


फिरोज गांधी का कद बढ़ने लगा..


Sweden के एक मशहूर इतिहासकार हैं, Bertil Falk (बर्तिल फाल्क). उन्होंने एक किताब लिखी है, जिसका नाम है, Feroze Gandhi.. The Forgotten Gandhi . इसमें वो बताते हैं कि जब फिरोज गांधी आजादी के आन्दोलनों में हिस्सा ले रहे थे, तब कई हिन्दी अखबारों ने उनका नाम घांडी लिखने के बजाय गांधी लिखना शुरू कर दिया था. इससे फिरोज गांधी का कद बढ़ने लगा. क्योंकि उस समय गांधी नाम में बहुत ताकत होती थी. यही वजह है कि फिरोज गांधी ने फैसला किया कि वो अपना Surname घांडी से गांधी कर लेंगे.


इंदिरा गांधी का पूरा नाम क्या था?


शादी से पहले इंदिरा गांधी का पूरा नाम, इंदिरा प्रियदर्शनी था. लेकिन फिरोज गांधी से शादी के बाद उनका नाम इंदिरा गांधी हो गया. ये गांधी सरनेम तब से चला आ रहा है. बड़ी बात ये है कि, महात्मा गांधी के खुद के वंशज कभी गांधी नाम का फायदा नहीं उठा पाए. लेकिन जिस परिवार का महात्मा गांधी से कोई लेना देना नहीं है, वो परिवार आज तक इस नाम का फायदा उठा रहा है. उदाहरण के लिए, महात्मा गांधी के असली वंशजों में से एक उनके पोते, राजमोहन गांधी ने वर्ष 1989 में अमेठी से राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. लेकिन इस चुनाव में महात्मा गांधी के असली वंशज हार गए और राजीव गांधी जीत गए.


SIT को मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला


वर्ष 2010 में जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई SIT ने गुजरात दंगों से जुड़े एक मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को गांधीनगर में पूछताछ के लिए बुलाया था तो मोदी इस पूछताछ में अकेले गए थे. वो अपना पानी भी साथ लेकर गए थे और उन्होंने पूछताछ के दौरान SIT की चाय पीने से भी इनकार कर दिया था. इस SIT के हेड थे, आरके राघवन, जिन्होंने अपनी किताब में बताया है कि जब SIT की टीम को मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला तो सरकार ने उनकी जासूसी करनी शुरू कर दी थी. 


आडवाणी और खुराना से भी हुई थी पूछताछ


प्रधानमंत्री मोदी के अलावा लाल कृष्ण आडवाणी से भी हवाला के एक मामले में वर्ष 1996 से 1998 तक कई बार पूछताछ हुई थी. लेकिन उन्होंने भी कभी इसे राजनीतिक उत्सव नहीं बनाया. जब ये मामला सामने आया था, उस समय आडवाणी ने लोक सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इसी तरह बीजेपी के एक और नेता मदन लाल खुराना का भी इस हवाला केस में नाम सामने आया था. जिसके बाद उन्होंने भी वर्ष 1996 में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. बड़ी बात ये है कि इस मामले में लाल कृष्ण आडवाणी और मदन लाल खुराना दोनों नेताओं पर एक भी आरोप सही साबित नहीं हुआ था. यानी बीजेपी के नेता खुद को कानून व्यवस्था से ऊपर नहीं मानते. वो इस तरह की प्रक्रिया को स्वीकार करते हैं और अपने कार्यकर्ताओं का शोषण नहीं करते.


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