Kedarnath Videos: बदइंतजामी, जरूरत से ज्यादा भीड़ और नाकामी. हुआ वही जिसका डर था. जैसे ही चारधामों के कपाट खुले लोग अपने भगवान के दर्शन करने के लिए निकल पड़े. लेकिन उन्हें क्या पता था कि जहां वह जा रहे हैं, वहां जान पर बन आने जैसी स्थिति हो जाएगी. ऐसा लगता है जैसे पहाड़ का रौद्र रूप प्रशासन भूल गया है. 


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अगर आप या आपके परिवार से कोई भी चार धाम यात्रा पर जाने की प्लानिंग कर रहा है या जाने को तैयार हो गए हैं तो जरा एक बार रुक जाइए. सोशल मीडिया पर केदारनाथ और यमुनोत्री के कुछ वीडियोज वायरल हो रहे हैं, जिसमें प्रशासन की नाकामी और बदइंजामी साफ नजर आ रही है.


वायरल हो रहा हर वीडियो आपके होश उड़ा देगा. इन वीडियोज में लंबी कतारें, एक ही जगह घंटों खड़े लोग, रेंगती हुई गाड़ियां नजर आ रही हैं. पहाड़ी रास्तों के सहारे भगवान भोलेनाथ के दर्शन वैसे भी इतना आसान नहीं होता और ऐसी भीड़. यहां पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए एक चुनौती है. 


आखिर क्यों है इतनी भीड़?


आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर अचानक इतनी भीड़ क्यों है ? आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि आपको अपने चार धाम की यात्रा पर जाने से पहले दोबारा प्लान करना चाहिए. लाजमी है इस भारी भरकम भीड़ को देखने के बाद सभी के मन में ऐसे ही सवाल उठने चाहिए.



यात्रा की शुरुआत होने के तुरंत बाद ही एक वीडियो आया था, जिसे दिखाकर जी न्यूज आपको पहले भी आगाह कर चुका है. अभी तो आपने चार धाम के लिए गए लोगों की भीड़ का दूर का वीडियो देखा है. एक वीडियो तो ऐसा है, जिसमें नजर आ रहा है कि यात्रियों की सुरक्षा खुद उनके जिम्मे ही आ गई है.


यमुनोत्री धाम से हैरान करने देने वाला वीडियो जैसे ही सामने आया तो लोग परेशान हो गए. चार धाम यात्रा का प्लान कर चुके श्रद्धालु अपने फैसले पर पछताने को मजबूर हो गए. श्रद्धालु कैसे जान जोखिम में डालकर भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे हैं. अगर इस भीड़ में कोई हादसा हो जाए तो जिम्मेदार कौन होगा? क्या 2013 में केदारनाथ में जो प्रलय आई थी, वह हम भूल चुके हैं. 


वीडियोज में भयावह हालात


एक अन्य वीडियो में प्रभु के दर्शन के लिए श्रद्धालु बड़ी लालसा से आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन भारी भीड़ में ये कितना मुश्किल है. उन्हें बखूबी समझ आ रहा है. हालात ऐसे हैं...जैसे श्रद्धालु एक दूसरे को ही पैरों से कुचलने के अलावा कोई चारा नहीं है. लंबी कतारों का ये सिलसिला जो शुरू हुआ तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा. कई किलोमीटर तक सिर्फ कतारें ही कतारें दिख रही हैं. श्रद्धालुओं की भीड़ में शामिल होने के बाद गाड़ियों में सवार लोग भी उतावले हैं. लेकिन गाड़ियों का रास्ता मिलना मुश्किल है. 


गनीमत है...कि भाड़ी भीड़ के बीच कोई हादसा नहीं हुआ...लेकिन प्रशासन सवालों के घेरे में जरूर है. सवाल ये भी उठता है कि सरकार लोगों से भारी भीड़ न जुटाने की अपील तो कर रही है...लेकिन उनकी व्यवस्था चाक चौबंद क्यों नहीं है?


यमुनोत्री में कहां हैं 'सरकार'?


यमुनोत्री धाम में जिस तरह के वीडियोज वायरल हुए हैं, उनको देखते हुए कई सवाल उठ रहे हैं कि अगर यमुनोत्री में श्रद्धालुओं का रजिस्ट्रेशन तो हुआ, तो इंतजाम उस स्तर के क्यों नहीं किए गए? यमुनोत्री में प्रशासनिक ने लापरवाही क्यों बरती जा रही है. पुलिस के जवान समय से क्यों नहीं पहुंचे? क्या सरकार हादसे का इंतजार कर रही है. इस बीच पुलिस ने यमुनोत्री की धारण क्षमता का हवाला देते हुए श्रद्धालुओं से धाम की यात्रा रविवार के लिए स्थगित करने को कहा है.


पुलिस ने एक्स पर लिखा, 'आज यमुनोत्री धाम पर क्षमता के अनुसार पर्याप्त श्रद्धालु यात्रा के लिए पहुंच चुके हैं. अब और अधिक श्रद्धालुओं को भेजना जोखिम भरा है, जो भी श्रद्धालु आज यमुनोत्री यात्रा पर आने जा रहे हैं, उनसे विनम्र अपील है कि आज यमुनोत्री की यात्रा स्थगित करें. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, शनिवार शाम चार बजे तक देश-विदेश के 3,82,190 श्रद्धालु अपना ऑनलाइन पंजीकरण करवा चुके हैं.


कपाट खुलने के साथ ही लगातार आस्था का जनसैलाब उमड़ रहा है. यमुनोत्री धाम की तरह बद्रीधाम में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. हल्की बारिश के बीच बैंड और ढोल नगाड़ों के साथ लोग बाबा के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.


क्या इंतजाम करना इतना मुश्किल है?


चार धाम की यात्रा की शुरुआत का एक पॉइंट होता है. प्रशासन को यह तो मालूम ही होता है कि कितने लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है और कितने लोगों को आगे के लिए भेजा जा सकता है. अगर क्षमता उदाहरण के तौर पर 1000 लोगों को भेजने की है तो प्रशासन को रजिस्ट्रेशन के हिसाब से उतने ही लोगों को आगे भेजना चाहिए. अगर ऊपर जाकर भीड़ बढ़ जाती है तो नीचे लोगों को रोक देना चाहिए या फिर बीच में ही कहीं लोगों के रुकने का इंतजाम करना चाहिए ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके.