South vs North Politics: देश में लोकसभा चुनाव (2024) की तारीख नजदीक आ रही है. इसके साथ सियासी सरगर्मियां तेज हो गईं हैं और नेताओं का बड़बोलापन सर्दियों में भी पारा बढ़ाने का काम कर रहा है. हाल ही में डीएमके सांसद दयानिधि मारन (DMK MP Dayanidhi Maran) ने एक विवादित बयान दिया हैं. दयानिधि मारन ने कहा कि लोग हिंदी, हिंदी, हिंदी कर रहे हैं! क्या वो आज नौकरी पैदा कर पा रहे हैं? उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग हिंदी बोलते है. लेकिन वो यहां आते हैं, तमिल सीखते हैं और सड़क-शौचालय साफ करते हैं!


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गिरिराज सिंह ने साझा किया वीडियो

इससे जुड़ा एक वीडियो बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने सोशल मीडिया पर साझा किया है. उन्होंने सवाल किया है कि क्या बिहार के CM नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) और लालू यादव हिंदी भाषी लोगों पर अपने गठबंधन के सहयोगी की राय से सहमत हैं? गिरिराज सिंह ने आगे कहा कि नीतीश कुमार और लालू यादव को साफ करना चाहिए कि DMK और I.N.D.I.A. गठबंधन को हिंदीभाषी बिहारी भाइयों और बहनों से इतनी नफरत क्यों है?



इससे पहले भी आए हैं विवादित बयान

यह पहला मामला नहीं है, जब किसी DMK नेता ने ऐसा बयान दिया है. 19 दिसंबर को राजधानी दिल्ली में I.N.D.I.A. गठबंधन की बैठक हुई, जहां नीतीश कुमार भाषण दे रहे थे. डीएमके नेता टीआर बालू (DMK leader TR Baalu) ने भाषण के बीच में अंग्रेजी ट्रांसलेशन की मांग कर दी. जेडीयू के मुखिया इसके चलते काफी गुस्सा हो गए. उन्होंने कहा कि हिंदी देश की राष्ट्रभाषा है. आगे नीतीश कुमार ने ब्रिटिश द्वारा अंग्रेजी थोपने की बात कही.


हिंदीभाषी राज्यों पर विवादित टिप्पणी


हाल ही में DMK नेता सेंथिल ने भी हिंदीभाषी राज्यों को लेकर विवादित बयान दिया था. इसकी वजह से बवाल मच गया. इस साल नवंबर महीने में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 3 मेजर हिंदीभाषी राज्यों (छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश) में क्लीन स्वीप किया. बीजेपी की जीत के बाद DMK नेता सेंथिल बालाजी ने कहा कि 'भाजपा हिंदी के गढ़ राज्यों में ही चुनाव क्यों जीत जाती है जिन्हें हम आमतौर पर गोमूत्र राज्य कहते हैं'. हालांकि, इस बयान को लेकर DMK के अन्य नेताओं ने भी सेंथिल बालाजी की निंदा की थी.


भाषा की राजनीति पर क्या बोले राजनीतिक पंडित


राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर हिंदीभाषी राज्यों को लेके I.N.D.I.A. गठबंधन के नेताओं की विवादित बयानबाजी कम नहीं हुई, तो पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. इसका असर सिर्फ लोकसभा चुनाव में नहीं, बल्कि उससे पहले ही देखने को मिल रहा है. भाषा के आधार पर पैदा किया जा रहा अंतर I.N.D.I.A. गठबंधन में फूट की वजह भी बन सकता है. राजनीतिक वैज्ञानिकों के अनुसार, 19 दिसंबर की बैठक में नीतीश कुमार का भड़कना इसी ओर इशारा करता है जो I.N.D.I.A. गठबंधन के एक महत्वपूर्ण अंग हैं. जानकारों का यह भी कहना है कि इस तरह की विवादित बयानबाजी भारत में ही उत्तर बनाम दक्षिण की राजनीति को जन्म देने का काम करेगी.


(इनपुट: एजेंसी)