Weather In Delhi-NCR: अप्रैल में हुई बारिश की वजह से किसानों की चिंताएं बढ़ गईं हैं. कईयों को लग रहा है कि अप्रैल महीने के अंतिम दिनों में हुई बारिश की वजह से जमीन ठंडी पड़ गई है. इस वजह से मानसून आने में काफी देरी होगी. मौसम वैज्ञानिकों ने इस तरह की अटकलों से प्रश्न चिन्ह हटाते हुए कहा है कि मानसून अपने समय पर आएगा. वैज्ञानिकों ने मंगलवार को कहा कि भारत के बड़े हिस्से में बारिश का दौर असामान्य है, लेकिन इसके कारण भूमि ठंडी होने से मानसून के आने में कोई देरी नहीं होगी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ऐसे होती है बारिश


आपको बता दें कि देश का मानसून यहां की भूमि और हिंद महासागर के बीच तापमान पर निर्भर करता है. इसके अलावा इन दोनों के बीच का दबाव भी इसमें बड़ा रोल अदा करता है. गर्मियों के महीनों के दौरान भूमि गर्म हो जाती है जिससे कम दबाव का क्षेत्र हो जाता है जो समुद्र से नम हवा खींचता है. इसी की वजह से बारिश होती है. कई लोगों को इस बात की चिंता हैं कि लंबे समय से हो रही बारिश की वजह से भूमि ठंडी हो गई है. इसकी वजह से कम दबाव वाले क्षेत्र कमजोर हो सकते है और इससे समुद्र से नमी भरी हवा को खींचने वाले बल में कमी होगी. इसका परिणाम ये होगा कि मानसून की बारिश में देरी हो सकती है.


क्या है नया अपडेट?


भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले 3 दिन से पूरे भारत में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे बना हुआ है. मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा है कि मौजूदा समय की बारिश के कारण जमीन के ठंडे होने और मानसूनी हवाओं के कमजोर होने के बीच कोई खास संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि भूमि के गर्म होने के लिए अभी पर्याप्त समय है. स्काईमेट वेदर के अध्यक्ष जी पी शर्मा ने कहा कि देश के बड़े हिस्से में एक साथ लंबे समय तक बारिश बहुत कम होती है, लेकिन यह मानसून के आगमन को प्रभावित नहीं करेगी. उन्होंने आगे कहा कि मानसून के आगमन के लिए 1 जून को देखें तो अभी भी एक महीना बाकी है और यह बहुत लंबा समय है. जी पी शर्मा ने कहा है कि यह दौर संभवत: एक और सप्ताह तक चलेगा.


(इनपुट: एजेंसी)