नई दिल्ली: रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने रूस की डिटेरेंस फोर्स को तैयार रहने का हुक्म दे दिया है. रूसी राष्ट्रपति के इस फैसले ने पूरी दुनिया में बेचैनी बढ़ा दी है. हालांकि इस बीच राहत की बात ये है कि अमेरिका (US) ने अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है. जिससे पहले से जारी वैश्विक तनाव और बढ़े इस बीच आशंका जताई जा रहा है कि जल्द ही अमेरिका भी जवाबी कार्रवाई करेगा. 


फिलहाल एटमी हमले के आसार नहीं


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

रूस और यूक्रेन के बीच जारी टकराव को आसान शब्दों में बयान किया जाए तो पुतिन ने सेना को परमाणु युद्ध के लिए तैयार रहने का आदेश भले ही दे दिया हो लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि दुनिया परमाणु युद्ध की तरफ बढ़ गई है. दरअसल रूस और अमेरिका दोनों ही परमाणु हथियारों से लैस दुनिया की सबसे बड़ी ताकते हैं. एक अनुमान के मुताबिक रूस और अमेरिका दोनों के ही पास 4 से 5 हजार न्यूक्लियर वॉरहेड हैं. वॉरहेड यानि न्यूक्लियर ऐसे हथियार जिन्हें मिसाइल, एयरक्राफ्ट या न्यूक्लियर सबमरीन से फायर किया जा सकता है. 


रूस ने किया था ऐलान


दोनों ही देश न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल करने के लिए मिसाइलों, फाइटर एयरक्राफ्ट और न्यूक्लियर सबमरीन से लैस हैं. रूस ने जून 2020 में पहली न्यूक्लियर हथियारों को इस्तेमाल करने की अपनी नीति को सार्वजनिक किया. इस दौरान बेसिक प्रिंसपल्स ऑफ स्टेट पॉलिसी ऑफ रसियन फेडरेशन ऑन न्यूक्लियर डेटरेंस (Basic Principles Of State Policy Of Russian Federation On Nuclear Deterrence) के नाम से जारी आदेश में बताया गया है कि रूस (Russia) केवल अपने बचाव के लिए की गई कार्रवाई में न्यूक्लियर शक्ति (Nuclear Power) का इस्तेमाल करेगा. 


ये भी पढ़ें- युद्ध के बीच यूक्रेन में पैदा हो गया है ये दूसरा बड़ा खतरा, WHO ने जताई आशंका


आक्रामक हुआ रूस


अगर रूस या उसके किसी साथी पर कोई न्यूक्लियर हमला हुआ या रूस पर परंपरागत हथियारों से भी ऐसा हमला हुआ जिससे उसका आस्तित्व खतरे में आए तो भी वो न्यूक्लियर हमला करेगा. पुतिन के आदेश का अर्थ है कि  न्यूक्लियर वॉरहेड वाली लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए तैयार कर दिया गया है. इस सिलसिले में न्यूक्लियर सबमरीन न्यूक्लियर वॉरहेड के साथ समुद्र में जाने के लिए तैयार हैं. फाइटर जेट्स में न्यूक्लियर वॉरहेड वाली मिसाइलें लगा दी गई हैं. रूस की न्यूक्लियर हथियारों की नीति के मुताबिक उसका न्यूक्लियर हमला अंतिम विकल्प होगा और इसका आदेश सीधे राष्ट्रपति पुतिन ही देंगे. 


इस तरह तय होता है खतरा


अमेरिका न्यूक्लियर हमले की तैयारी के लिए Defense Ready Condition (DEFCON) का इस्तेमाल करती है. DEFCON में कुल पांच लेवल होते हैं जिन्हें बढ़ते हुए खतरे के मुताबिक 5 से लेकर 1 तक दर्ज किया गया है. DEFCON लेवल 5 का अर्थ है कि न्यूक्लियर हमले के लिए सामान्य तैयारी शुरू की जाए, लेवल 4 का अर्थ है कि तैयारी सामान्य से ज्यादा हो, 3 का अर्थ है कि एयरफोर्स 15 मिनट में  हमले के लिए तैयार है, 2 का अर्थ है कि थलसेना 6 घंटे के अंदर बड़ी कार्रवाई के लिए तैयार है और DEFCON लेवल 1 का अर्थ है कि न्यूक्लियर युद्ध या तो शुरू होने वाला है या शुरू हो चुका है. DEFCON 1 के लेवल पर अमेरिका की हर फोर्स तुरंत जवाबी न्यूक्लियर कार्रवाई के लिए तैयार हो जाती है. अमेरिका ने आज तक केवल एक बार, 1962 में क्यूबा मिसाइल संकट के दौरान लेवल 2 तक पहुंचाया था.