आखिर महिला आरक्षण बिल के दिन आ ही गए! जानिए विधानसभाओं में कितना है महिलाओं का नेतृत्व
New Parliament: संसद के विशेष सत्र का दूसरा दिन संसद की नई बिल्डिंग का पहला दिन होगा और यह दिन ऐतिहासिक साबित हो सकता है. इसका कारण यह है कि सरकार सदन में महिला आरक्षण बिल पेश कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो यह दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा क्योंकि इस बिल पर कई दशकों से बात नहीं बन पाई है.
Women Reservation Bill: महिलाओं की जब भी बात होती है तो आधी आबादी की चर्चा होती है लेकिन सवाल यह है कि क्या इस आधी आबादी को प्रतिनिधित्व भी उतना ही मिला है. शायद इसका जवाब अब मिल सकता है. असल में नई संसद को लेकर ना सिर्फ राजनेताओं बल्कि देश भर के लोगों के बीच उत्सुकता है. इसी बीच विशेष सत्र का वह समय आ गया है जब सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को नई संसद का संचालन शुरू हो जाएगा. अगर सब कुछ सही रहा तो मंगलवार का दिन काफी महत्वपूर्ण होने वाला है. इस दिन महिला आरक्षण बिल पेश हो सकता है. इस बिल के बारे में काफी कुछ जानने लायक है. यह भी जानिए कि अभी संसद में महिलाओं को कितने प्रतिशत नेतृत्व मिला है, साथ ही यह भी जानेंगे कि राज्य की विधानसभाओं में उनके लिए कितना प्रतिशत नेतृत्व दिया गया है.
यह मांग बहुत पुरानी है
दरअसल, राजनीति में महिलाओं की स्थिति भी पुरुषों के समान हो, इसकी मांग बहुत पुरानी है. यहां तक कि 1947 में देश जब आजाद हुआ तो भी संविधानसभा में भी महिला आरक्षण को लेकर बहसें हुई थीं. फिर 1993 में दो संविधान संशोधनों के जरिए पंचायतों और निकायों में महिला आरक्षण की व्यवस्था हुई, लेकिन संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण की मांग बरकरार है. आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, जबकि राज्य विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है.
बिल पास होते ही बदल जाएगी स्थिति
वहीं अब अगर यह बिल पास हुआ तो लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएंगी. यदि ऐसा हुआ तो आगामी चुनाव में कई राज्यों का गणित बदला नजर आएगा. अगर संसद की बात की जाए तो वर्तमान लोकसभा में 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 के 15 प्रतिशत से भी कम हैं. बीते साल दिसंबर में सरकार द्वारा संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करीब 14 प्रतिशत है.
राज्यों में क्या है महिला नेतृत्व की स्थिति
आंकड़ों के मुताबिक कई राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है. इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पुडुचेरी शामिल हैं. दिसंबर 2022 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 10-12 प्रतिशत महिला विधायक थीं. जबकि छत्तीसगढ़ में 14.44%, पश्चिम बंगाल में 13.7% और झारखंड में 12.35% महिला विधायक हैं.
कई दलों ने पहले ही की है मांग
मजे की बात यह है कि इस बिल पर बीजेपी कांग्रेस पहले ही सहमत यहीं. वहीं बीते दिनों में बीजेडी और बीआरएस समेत कई दलों ने इस बिल को लाने की मांग की है, जबकि हैदराबाद में हुई CWC की मीटिंग में कांग्रेस ने भी महिला आरक्षण को लेकर प्रस्ताव पारित किया. फिलहाल 27 सालों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक के दिन आ गए हैं. यदि विशेष सत्र में विधेयक पेश होता है और सदन की मुहर लग जाती है तो 2024 में लोकसभा का नजारा बदल सकता है, ऐसा हो सकता है कि इतिहास में पहली बार सदन में 33 प्रतिशत महिलाएं नजर आएं.