देश का सबसे अनोखा दंगल, जहां सिर्फ महिलाएं दिखाती हैं कुश्ती के दांव..पुरुषों की एंट्री है बैन
Hamirpur: सास से लेकर बहू तक प्रतियोगिता में अपने दांव दिखाती हैं. हमीरपुर के बिवार थाना क्षेत्र के लोदीपुर निवादा गांव में वर्षों से चली आ रही परंपरा के तहत यहां पर हर साल दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है.
Wrestling Competition: सोचिए किसी गांव में महिलाएं कुश्ती खेलती नजर आ रही हों और वहां पुरुषों की एंट्री पूरी तरह बैन हो तो यह दृश्य बड़ा ही अलग तरीके का होगा. उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक ऐसी परंपरा है जहां महिलाएं कुश्ती खेलती हैं तो पूरा गांव उन्हें देखने लगता है. इस दौरान ख़ास बात यह रहती है कि कोई भी पुरुष उस जगह नहीं रहता है. असल में हमीरपुर में सैकड़ों साल से चली आ रही परंपरा के तहत कुश्ती का आयोजन किया जाता है जिसमें महिलाओं का जमावड़ा लगता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कुश्ती में पुरुषो का प्रवेश पूर्णतः प्रतिबंधित होता है. इस दौरान बड़ी संख्या में साड़ी पहने घूंघट में गांव की महिलाएं दंगल में हिस्सा लेती हैं. घर में सास से लेकर बहू तक प्रतियोगिता में अपने दांव दिखाती हैं. इस दंगल में पुरुषों की एंट्री पूरी तरह से बैन रहती है. हमीरपुर के बिवार थाना क्षेत्र के लोदीपुर निवादा गांव में वर्षों से चली आ रही परंपरा के तहत यहां पर हर साल दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है.
बताया जाता है कि इस प्रतियोगिता में गांव की महिलाएं ही हिस्सा ले सकती हैं. खास बात यह है कि हर साल यहां रक्षाबंधन पर महिलाओं का यह अनोखा दंगल होता है. और इसी कड़ी में इस बार भी पूरे गांव की बहुएं और सास ने इसमें हिस्सा लिया. दंगल में करीब 24 से अधिक कुश्तियां हुईं. महिलाओं ने एक से बढ़कर एक दांव-पेंच का प्रदर्शन किया. एक महिलाओं ने तो पल भर ही प्रतिद्वंदी को पटखनी दे दी.
महिलाओं ने दंगल में एक से बढ़कर दांव-पेंच का प्रदर्शन किया. इस दंगल की कई तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर सामने आई हैं. इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ भी जुटी. महिलाओं ने साड़ी पहनकर ताल ठोंकी. उनके उत्साहवर्धन के लिए लोग तालियां बजाते रहे. बताया जाता है कि दंगल का उद्देश्य यह बताना है कि महिलाएं किसी से कमजोर नहीं हैं. महिलाएं भले ही घूंघट की ओट में रहती हों, लेकिन वह किसी से भी कम नहीं हैं.